आरयू वेब टीम। देश की राजधानी दिल्ली के सीलमपुर इलाके में शनिवार को चार मंजिला इमारत ढहने से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि एक साल के बच्चे समेत आठ लोग घायल हो गए। एकाएक इमारत ढहने से इलाके में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस व फायर ब्रिगेड को दी। मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम ने राहत बचाव कार्य शुरू कर घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा।
इस संबंध में पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि, ‘‘हमें वेलकम थाने में शनिवार सुबह करीब सात बजकर चार मिनट पर ईदगाह के पास चार मंजिला इमारत के ढहने की सूचना मिली। जब पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो पाया कि इमारत की तीन मंजिलें ढह चुकी थीं।’’ रेस्क्यू कर आठ घायलों को बचाया गया है। सात को जेपीसी अस्पताल और एक को जीटीबी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है।’’
वहीं अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (उत्तर-पूर्वी) संदीप लांबा ने कहा, ‘‘इमारत के मालिक मतलूब अपने परिवार के साथ इसी इमारत में रहते थे। भूतल और पहली मंजिल खाली हैं। सामने वाली इमारत को भी नुकसान पहुंचा है।’’
परवेज (32), उनकी पत्नी सिजा (21), बेटा अहमद (14 माह) और भाई नावेद (19) इमारत के ढहने के समय अंदर मौजूद थे, जिन्हें बचा लिया गया है। वहीं, गोविंद (60) और उनके भाई रवि कश्यप (27) और उनकी पत्नियां क्रमश: दीपा (56) तथा ज्योति (27) दुर्घटना के वक्त इमारत के बाहर थे अैर उन्हें भी चोटें आईं हैं। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।
इस इमारत के सामने वाली इमारत में रहने वाले अनीस अहमद अंसारी ने बताया कि उन्हें भी इस घटना में चोटें आई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही इमारत गिरी, मलबा हमारी इमारत पर आ गिरा और मैं भी घायल हो गया। स्थानीय लोगों समेत हर कोई परिवार को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है। हमें उम्मीद है कि वे सुरक्षित होंगे।’’ इमारत उस समय गिरी जब स्थानीय लोग सुबह की सैर पर निकले थे। उनमें से कई लोगों ने खुद ही बचाव कार्य शुरू कर दिया और दमकल विभाग के अधिकारियों के मौके पर पहुंचने से पहले ही फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश की।
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दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि इमारत गिरने के बाद बचाव कार्य के लिए सात दमकल गाड़ियां घटनास्थल भेजी गई हैं। स्थानीय निवासी अस्मा ने कहा, ‘‘सुबह करीब सात बजे मैं अपने घर में थी तभी मुझे तेज आवाज सुनाई दी और चारों तरफ धूल छा गई। जब मैं नीचे आई तो देखा कि हमारे पड़ोसी का घर ढह गया है। हमें नहीं पता कि कितने लोग फंसे हैं, लेकिन वहां एक परिवार रहता था जिसमें दस लोग थे।’’




















