आरयू ब्यूरो, लखनऊ/गोरखपुर। साल 2017 में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 70 बच्चों की मौत के मामले में योगी सरकार ने डॉ. कफील खान को क्लीन चिट नहीं दी है। इसी कड़ी में रविवार को भारत के बाल रोग विशेषज्ञों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक (आइएपी) डॉक्टर कफील खान के समर्थन में आई है।
आइपी ने इस संबंध में पत्र लिखकर कफील खान के निलंबन को जल्द समाप्त करने की मांग की है। इससे पहले प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) रजनीश दुबे ने कहा कि चंद रोज पहले से डॉ. कफील जिन बिंदुओं पर क्लीन चिट मिलने का दावा कर रहे हैं, उन बिंदुओं पर जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है, इसलिए क्लीन चिट की बात बेमानी है।
इसके अलावा, डॉ. कफील बाल रोग विभाग के प्रवक्ता पद पर योगदान करने के बाद बाद भी अनाधिकृत रूप से निजी प्रैक्टिस कर रहे थे तथा मेडिस्प्रिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जुड़े हुए थे। उन पर निर्णय लिए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अन्य दो आरोपों पर अभी शासन द्वारा अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
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रजनीश दुबे ने बताया कि बच्चों की मौत के मामले में तत्कालीन प्राचार्य डॉ़ राजीव कुमार मिश्रा, एनेस्थीसिया विभाग के सतीश कुमार और बाल रोग विभाग के तत्कालीन प्रवक्ता डॉ. कफील खान को निलंबित किया गया था। प्रमुख सचिव ने कहा कि डॉ. कफील जो खुद को निर्दोष करार दिए जाने का प्रचार कर रहे हैं, वह गलत है।
गौरतलब है कि 70 बच्चों की मौत के मामले में आरोपित डॉ. कफील को चार मामलों में से सिर्फ एक में ही क्लीन चिट मिली है। उनके बारे में यह बात निराधार साबित हुई है कि घटना के वक्त 100 बेड वाले एईएस वार्ड के नोडल प्रभारी डॉ. कफील थे।