आरयू वेब टीम। आठ मार्च को होली का त्योहार मनाया जाना है, सात मार्च की छोटी होली बताई जा रही। वहीं पूरा भारत आगामी आठ तारीख को रंगों में रंगा हुआ होगा। होली की रौनक लोगों के मन को खुशी तो देती है मगर रंग खेलते समय लोग कई ऐसी गलतियां करते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं। पानी की बर्बादी इसमें सबसे अहम समस्या है। पर्यावरण की सेफ्टी हम सभी की जिम्मेदारी है और इसके साथ खिलवाड़ करने से हमें बचना चाहिए।
पर्यावरण की सेफ्टी के लिए आप इको फ्रेंडली होली को परिवार और दोस्तों के साथ सेलिब्रेट कर सकते हैं। जानें इको फ्रेंडली होली को मनाने के तरीके।
पानी का कम इस्तेमाल
रंग और पानी से होली को सेलिब्रेट करना कॉमन है पर ये एक तरह की बर्बादी मानी जाती है। घरों में लोग कई लीटर पानी एक-दूसरे को भिगोने में बर्बाद करते हैं। वाटर को वेस्ट करने के बजाय दूसरे तरीकों से होली खेलने की कोशिश करें। बच्चों को पानी के गुब्बारों का इस्तेमाल करने से रोकें, क्योंकि इसमें भी पानी बर्बाद होता है।
फूलों से खेंले होली
मार्केट में बनने वाले रंगों को फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है। इस वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। इन रंगों के बजाय आप फूलों से होली का जश्न मना सकते हैं। गुलाब या गैंदे के फूलों से होली खेलने की बात ही अलग है। इससे किसानों को भी फायदा मिलेगा।
ऑर्गेनिक कलर
बाजार वाले रंगों में अधिकतर को केमिकल से तैयार किया जाता है। ऐसे में स्किन पर रैशेज या मुंहासे निकल सकते हैं और बाल भी डैमेज हो सकते हैं। सिंथेटिक रंग न केवल आपकी त्वचा के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होते हैं। इको फ्रेंडली होली खेलने के लिए ऑर्गेनिक कलर का इस्तेमाल करें।
बनाएं नेचुरल रंग
क्या आप जानते हैं कि आप नेचुरल तरीकों से भी रंग बना सकते हैं। जैसे पीला रंग बनाने के लिए मक्के का आटा और हल्दी की मदद ली जा सकती है। इसके अलावा मक्के के आटे में मेहंदी पाउडर भी मिलाया जा सकता है।