आरयू ब्यूरो, लखनऊ। तीन दिनों में फाइलों का निस्तारण करने की एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि की लगातार चेतावनियों के बावजूद कुछ कर्मी व अफसर सुधरने का नाम नहीं ले रहें। 19 दिनों तक फाइल लटकाकर आवंटियों को दौड़ाने के ऐसे ही एक मामले में वीसी ने एक कर्मचारी को निलंबित करते हुए जांच शुरू करा दी है। उपाध्यक्ष के इस कदम ने भ्रष्टाचार व लापरवाही को अपनी नौकरी का आम हिस्सा मानने वाले कर्मियों की भी धड़कने तेज कर दी है।
यह है मामला-
आवंटी जितेंद्र सिंह, मोहिंदर सिंह व रघुबीर सिंह ने गुरुवार को उपाध्यक्ष से शिकायत की थी कि उन्होंने महानगर क्षेत्र स्थित अपनी करीब आठ हजार वर्ग फुट की जमीन की एनओसी के लिए बीती 28 जुलाई को आवेदन किया था, लेकिन 17 अगस्त तक नजूल के क्षेत्रिय अमीन सत्येंद्र सिंह फाइल दबाए हुए है।
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उपाध्यक्ष का कहना है कि शिकायत की जांच में सामने आया है कि अमीन ने जान-बूझकर पत्रावली रोकी थी, उसके ऐसा करने से प्राधिकरण की छवि आमजन में काफी धूमिल हुई है। इस पर सत्येंद्र सिंह को निलंबित करते हुए अभियंत्रण जोन सात से संबद्ध कर दिया गया। साथ ही इस मामले की गहनता से जांच के लिए ओएसडी राम शंकर को नामित किया है। राम शंकर जांच पूरी कर उपाध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट देंगे।
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वहीं इससे पहले गुरुवार को आयोजित जनता अदालत में बसंत कुंज आश्रय हीन के एक आवंटी द्वारा एलडीए के बाबू शैलेंद्र श्रीवास्तव पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाने के मामले को भी वीसी ने गंभीरता से लिया। इंद्रमणि त्रिपाठी ने तहसीलदार विवेक शुक्ला को मौके पर जाकर आवंटियों का बयान लेते हुए मामले की जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही इस मामले में वीसी ने अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा को भी अपने स्तर से जांच करने के निर्देश दिए हैं।
फरियादियों में जागी उम्मीद, परेशान दिखे मनमानी करने वाले
दूसरी ओर जनता अदालत में वीसी की तेजी देख सालों से एलडीए का चक्कर लगा रहें फरियादियों में जहां राहत मिलने की उम्मीद जागी। वहीं मुख्या के तेवर से मनमानी करने वाले अफसर-कर्मी भी परेशान दिखे। अपर सचिव ने बताया कि गुरुवार को जनता अदालत में 49 मामले आए थे, जिनमें से 25 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है, जबकि 24 प्रार्थना पत्रों को निर्धारित समय के अंदर वीसी ने निस्तारण करने का आधिकारियों को निर्देश दिया है।
भ्रष्टाचार-मनमानी के मामलों में आई कमी, लेकिन…
बताते चलें कि अब तक के अपने दो महीने से भी कम समय के कार्यकाल में इंद्रमणि त्रिपाठी एलडीए की छवि सुधारने के लिए भ्रष्टाचार व लापरवाही के कई मामलों में निलंबन, स्पष्टीकरण जैसी दर्जनों कार्रवाई कर चुके हैं। उपाध्यक्ष की इन कार्रवाईयों से अवैध निर्माण की ठेकेदारी, टेंडर में खेल करने, छोटे-छोटे कामों के लिए आवंटियों को दौड़ाने के मामलों में काफी कमी भी आयी है, हालांकि एलडीए के कुछ सीनियर अफसर व अधिशासी अभियंता चर्चित व दागी पीए, अनुभाग अधिकारी, पीडब्ल्यूसी, पेशकार और बाबू के अलावा सुपरवाइजर, मेट जैसे चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के जरिए भी तरह-तरह के कारनामें कराने से बाज नहीं आ रहें हैं।
वीसी के निशाने पर एलडीए की छवि धूमिल करने वाले जूगाड़ु अफसर, इंजीनियर-कर्मी!
एलडीए के जानकारों की मानें तो आवंटियों को राहत दिलाने के लिए भ्रष्टाचार व मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विभाग के मुखिया इंद्रमणि त्रिपाठी आजादी के अमृत महोत्सव को सकुशल निपटाने के बाद अब एलडीए की छवि धूमिल करने वालों को चिन्हित कर कोई बड़ी कार्रवाई कर सकते है। वीसी के निशाने पर खासकर ऐसे अधिकारी, इंजीनियर व कर्मचारी है जो एलडीए के अधिष्ठान से लेकर शासन तक में जुगाड़ रखने की वजह से लंबे समय से न सिर्फ प्राधिकरण की एक ही कुर्सी पर जमे हैं, बल्कि अपने ही विभाग की ही छवि को भी भारी नुकसान पहुंचा रहें हैं।