आरयू ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत उनके आधा दर्जन साथियों के खिलाफ आज गैंगरेप, पॉक्सो एक्ट समेत अन्य संगीन धाराओं में गौतमपल्ली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति को बचाने का आरोप झेल रही राजधानी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
इंस्पेक्टर गौतमपल्ली ने बताया कि परिवहन मंत्री समेत, अशोक तिवारी, पिंटू सिंह, विकास वर्मा, चंद्रपाल, रूपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ धारा 376 डी, 376 511, 504, 506 व पॉक्सो एक्ट 3/4 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इंस्पेक्टर ने मंत्री से छह अन्य आरोपितों के संबंध और निवास स्थान के बारे में जानकारी होने से इंकार किया है।
प्रदेश में तीसरे चरण के मतदान से कुछ घंटे पहले हुई कार्रवाई से सपा नेताओं के माथे पर बल है। दूसरी ओर गायत्री प्रसाद ने महिला को जानने से ही इंकार करते हुए इसे बीजेपी की साजिश बताया है। इसके साथ ही अमेठी से विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी ठोक रहे अपने इस मंत्री के पक्ष में फिलहाल सपा खड़ी दिखाई दे रही है।
सपा के मुख्य प्रवक्त राजेंद्र चौधरी ने भी इसके पीछे चुनावी साजिश की बात राजधानी अपडेट से कही है। दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा है कि मुख्यमंत्री होने के नाते अखिलेश यादव अब जनता को बताएं की गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी कब तक होगी। या फिर परिवहन मंत्री भी दूसरे नेताओं की तरह संगीन मुकदमे दर्ज होने के बाद भी आजाद घूमेंगे।
यह था पूरा मामला
चित्रकूट निवासी राजनीतिक पृष्ठभूमि कि 35 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति व उनके सहयोगियों पर आरोप लगाया था कि खनन पट्टा दिलाने के बहाने उसे गौतमपल्ली इलाके में स्थित मंत्री के आवास पर तत्कालीन खनन मंत्री ने अशोक तिवारी के माध्यम से करीब तीन साल पहले बुलवाया था।
जहां नशीली चाय पिलाने के बाद उसके साथ गैंगरेप कर उसकी तस्वीरें निकाल ली गई। इन्हीं तस्वीरों के सहारे दो साल में उसका कई बार रेप किया गया। 2016 में मंत्री के जन्मदिन के मौके पर उन्हें तस्वीर देने के लिए बुलाया गया था।
वह अपनी 17 वर्षीय बेटी के साथ पहुंची तो आरोपितों ने उसके साथ भी रेप का प्रयास किया। जिसकी शिकायत उन्होंने राजधानी में बैठे पुलिस के आला अधिकारियों से भी की लेकिन मुकदमा नहीं दर्ज हो सका।
सुप्रीम कोर्ट ने कल दिया था आदेश
पीडि़ता ने अपनी व बेटी के जान की सुरक्षा और न्याय के लिए बीते वर्ष 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कल न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही आठ हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।