आरयू ब्यूरो, लखनऊ। दिवाली की पूर्व संध्या पर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर त्योहारी अंदाज में निशाना साधा है। अखिलेश ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि योगी सरकार के तमाम दावे गीले पटाखों की तरह फुस्स हो गए हैं। सरकार की गलत नीतियों के चलते किसान और नौजवानों की दीवाली काली हो गयी है, त्योहार के समय भी उनकी गहरी मायूसी है।
गरीबों की कहीं नहीं सुनवाई
अपने एक बयान में शुक्रवार को योगी सरकार पर हमला जारी रखते हुए सपा अध्यक्ष ने कहा कि गरीबों की कहीं सुनवाई नहीं है। किसान का धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकने के बजाय बिचैलियों-आढ़तियों की भेंट चढ़ गया। करीब 20 लाख गन्ना किसानों का मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मण्डल की चीनी मिलों पर पिछले पेराई सत्र के 3,343 करोड़ रुपए बकाया है, यूपी में करीब दस हजार करोड़ रूपये गन्ना किसानों का बकाया है।
किसान को फसल बेचने में नाकों चने चबाने पड़े
अखिलेश ने मीडिया से आगे कहा कि यूपी के धान क्रय केंद्रों पर अनियमितताओं के चलते किसान को अपनी फसल बेचने में नाकों चने चबाने पड़े। अकेले संभल में ही धान खरीदी का 28 करोड़ रुपया बकाया है। किसानों का बकाया चुकता करने में देरी दुखद है।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भी अच्छे नहीं हालात
अखिलेश ने सवाल उठाते हुए कहा कि इन हालातों में आखिर किसान कैसे त्योहार मनाए? पश्चिमी यूपी के किसानों की दीवाली भी फीकी रहेगी। इतना ही नहीं विडंबना यह भी है कि स्वयं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी धान खरीद के हालात अच्छे नहीं है। वहां 40 हजार मैट्रिक टन का लक्ष्य था, लेकिन अभी तक सिर्फ 670 मैट्रिक टन धान ही खरीदा जा सका है। बेचने आ रहे किसान को बाद में आने को कहा जा रहा है। उनको धान बेचने के लिए 2021 का टोकन दिया जा रहा है। अगली फसल की बुवाई के लिए बिचैलियों को 1868 रूपये प्रति कुंतल रेट के बजाय रुपये 1100 में धान बेचने को किसान मजबूर है। कई जगह तो कागजों पर धान क्रय केंद्र चल रहे हैं।