आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी के एक बोगस फर्म द्वारा करीब 11 करोड़ रुपये की टैक्स धोखाधड़ी के मामले में राज्य कर विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रायबरेली के दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जबकि तीसरे के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। ये कार्रवाई राजधानी इंटरप्राइजेज नाम की एक फर्जी कंपनी के जरिए की गई टैक्स चोरी के मामले में की गई है, जिसमें सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ है।
निलंबित अधिकारियों में रितेश कुमार बरनवाल और मनीष कुमार शामिल हैं, जिन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। रितेश कुमार रायबरेली जिले में सहायक आयुक्त के पद पर तैनात थे, जबकि मनीष कुमार उपायुक्त थे। इनके साथ ही, संयुक्त आयुक्त (कार्यपालक) देवेंद्र सिंह की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं, क्योंकि उनके खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
इन पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी फर्म के साथ मिलीभगत कर राज्य से बाहर दस करोड़ 76 लाख रुपये से अधिक की आइजीएसटी आइटीसी आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) को गलत तरीके से भेजने में भूमिका निभाई। राज्य कर विभाग की शुरुआती जांच में दोनों अधिकारियों की संलिप्तता सामने आने पर विशेष सचिव श्याम प्रकाश नारायण ने दोनों के निलंबन के आदेश जारी किए। जांच पूरी होने तक दोनों अधिकारियों को संयुक्त आयुक्त राज्यकर कार्यालय, बांदा से संबद्ध किया गया है।
कैसे हुआ घोटाला?
राजधानी इंटरप्राइजेज नाम की इस फर्जी फर्म ने बिना कोई वास्तविक व्यापार किए 21 अप्रैल 2025 को जीएसटीआर-3B रिटर्न दाखिल करते हुए फर्जी तरीके से आइजीएसटी आइटीसी का दावा किया और उसे राज्य से बाहर ट्रांसफर कर दिया। यह रकम 10.76 करोड़ से भी ज्यादा थी।
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वहीं मामले की जांच की जिम्मेदारी अपर आयुक्त राज्यकर (कानपुर-प्रथम) सैमुअल पाल एन. को सौंपी गई है। उन्हें एक महीने के भीतर शासन को विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी है। सरकार का कहना है कि टैक्स चोरी या भ्रष्टाचार के मामलों में किसी को बख्शा नहीं जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।