आरयू ब्यूरो, वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर चल रहे विवाद मे नया मोड़ आ गया है। हिंदू पक्ष की तरफ से पांच में से एक वादी राखी सिंह ने सोमवार को अपना केस वापस लेने का ऐलान किया है, हालांकि हिंदू पक्ष का कहना है कि बाकी चार वादी अपने रुख पर तटस्थ हैं।
इस केस की अगुवाई करने वाली संस्था विश्व वैदिक सनातन संघ ने कल ही अपने लेटर हेड पर जानकारी को साझा करते हुए विधि सलाहकार समिति को भंग कर दिया था। संस्था के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन का वादी पक्ष की टीम में सर्वेक्षण के दौरान ना होने से ही फूट की आशंका बढ़ गई थी। फिलहाल हिंदू पक्ष के वकील और अन्य पदाधिकारी बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे। चार वादी में सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक हैं। राखी सिंह के केस वापस लेने के निर्णय के पीछे क्या वजह है ये अभी साफ नहीं हो सकी है।
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इससे पहले एक स्थानीय अदालत के आदेश पर काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों की वीडियोग्राफी तथा सर्वे के काम के लिये एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र और वादी पक्ष के कई लोग ज्ञानवापी पहुंचे थे। काम शुरू होने से पहले ज्ञानवापी में जुमे की नमाज पढ़ने के लिये बड़ी संख्या में लोग जमा थे। उन्होंने बताया कि इसी दौरान कुछ शरारती तत्वों ने नारेबाजी शुरू कर दी, हालांकि पुलिस ने नारेबाजी कर रहे लोगों को खदेड़ दिया। इस बीच, काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी के आसपास की दुकानें बंद कर दी गयीं।
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ज्ञानवापी मस्जिद का रखरखाव करने वाली संस्था ‘अंजुमन इंतजामिया मसाजिद’ के सह सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने ‘मीडिया को बताया, ‘‘मुस्लिम पक्ष के लोग ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का विरोध कर रहे थे, क्योंकि मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी वर्जित है।” उन्होंने यह भी कहा कि अदालत ने जिन स्थलों की वीडियोग्राफी-सर्वे का आदेश दिया है उसमें मस्जिद के अंदर का परिसर शामिल नहीं है। यासीन ने बताया, ”विरोध के बाद सर्वे टीम ने शाम चार बजे से श्रंगार गौरी, नंदी और ज्ञानवापी कूप समेत कई स्थानों पर अपना काम शुरू किया।’’
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गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेन्द्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर श्रंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा की मांग की थी। सिविल जज (जूनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद गत 26 अप्रैल को अजय कुमार मिश्रा को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी-सर्वे करके दस मई को अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।