आरयू ब्यूरो, वाराणसी। वाराणसी कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में पूजा का अधिकार हिंदू पक्ष को दे दिया है। इस संबंध में कोर्ट ने सुनवाई पहले ही पूरी कर ली थी। बुधवार को वाराणसी जिला कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। जिसमें कहा गया कि हिंदू पक्ष व्यास जी तहखाने में नियमित पूजा कर सकते हैं।
वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह हमारी सबसे बड़ी जीत है। मुस्लिम पक्ष के दावे को कोर्ट ने नकार दिया है। कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को सात दिनों के भीतर पूजा की व्यवस्था करने का आदेश दिया है। जबकि कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम पक्ष ने इस पर नाराजगी जताई है।
वाराणसी परिसर स्थित व्यस्त जी तहखाने में दोबारा पूजा की अनुमति देने संबंधी अर्जी पर मंगलवार को जिला जज में सुनवाई पूरी हो गई थी। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को इस संबंध में कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया।
वादी शैलेश व्यास के अनुसार, उनके नाना सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में नियमित पूजा-पाठ करता था। वर्ष 1993 से तहखाने में पूजा-पाठ बंद हो गई। वर्तमान में यह तहखाना अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के पास है। तहखाना को डीएम की निगरानी में सौंपने के साथ वहां दोबारा पूजा शुरू करने की अनुमति मांगी गई थी। अदालत के 17 जनवरी के आदेश पर डीएम ने 24 जनवरी को तहखाना अपनी सुपुर्दगी में ले लिया था।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान वादी ने इस मामले में नियमित पूजा पाठ की मांग की। इस पर अंजुमन इंतेजामिया के वकील ने आपत्ति जताते हुए दलील खारिज करने की मांग की। 17 जनवरी के आदेश में कोर्ट ने केवल रिसीवर नियुक्त करने का जिक्र किया है। उसमें पूजा के अधिकार का कोई जिक्र नहीं किया गया है। इसलिए नियमित वाद को निस्तारित करते हुए खारिज करने की मांग की गई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलित सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद नदी के सामने से व्यासजी तहखाने में जाने का रास्ता बनाया जाएगा। इस संबंध में कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन के स्तर पर कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने सात दिनों के भीतर वाराणसी डीएम को पूजा के लिए व्यवस्था का निर्देश दिया है। हिंदू पक्ष के वकील ने साफ किया कि हिंदू पक्ष को अपने भगवान की पूजा का अधिकार मिला है। वहां भगवान शिव की पूजा अब संभव होगी।
वहीं मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि फैसले के बाद हाई कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील की जाएगी। मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले के प्रति असंतोष जताया है। इससे पहले मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के सर्वे को नकार दिया था।