आरयू ब्यूरो, लखनऊ। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में फव्वारा या शिवलिंग होने के दावों का पता लगाने के लिए इसका अध्ययन करने के लिए आयोग या समिति बनाने की गुजारिश वाली जनहित याचिका पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया। अब 13 जून को हाई कोर्ट इसका फैसला सुनाए गी।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश वाराणसी व लखनऊ के सात याचियों द्वारा अधिवक्ता अशोक पांडेय के जरिए दायर याचिका पर दिया है। याचिका में केंद्र व राज्य सरकार समेत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पक्षकार बनाया गया था। याचियों का कहना था कि हिन्दू दावा कर रहे हैं कि वहां शिवलिंग मिला है, जबकि मुसलमानों का दावा है कि यह एक फव्वारा है।
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याचियों ने कोर्ट से आग्रह किया कि ऐसे में, संबंधित पक्षकारों को निर्देश दिया जाय कि ढांचे का अध्ययन करने को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के वर्तमान या सेवा निवृत्त जज की अध्यक्षता में आयोग या समिति गठित की जाय और इसकी रिपोर्ट के मुताबिक कारवाई की जाय।
अगर शिवलिंग हो तो भक्तों को विधि विधान से पूजा अर्चना की अनुमति दी जाय औरत अगर यह फव्वारा हो तो इसे सुचारु किया जाय। दूसरी ओर केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि मामला वाराणसी से संबंधित है। ऐसे में याचिका लखनऊ पीठ में सुनाए जाने लायक नहीं है। राज्य सरकार की ओर से अपरमहाधिवक्ता विनोद कुमार शाही पेश हुए।