आरयू ब्यूरो, लखनऊ। फर्जी रजिस्ट्री, जानलेवा अवैध निर्माण, अवैध कब्जों, एनओसी के नाम पर कमीशनखोरी व लेवी निर्धारण में खेल समेत तमाम विवादों के चलते अपनी सबसे बदनाम ट्रांसपोर्ट नगर योजना के भूखंडों को भी अब एलडीए फ्री-होल्ड करने के मोड में आ गया है। सामने आया है कि अरबों रुपये की कीमत के 292 भूखंडों की जांच पूरी करने व इसकी रिपोर्ट सामने लाने से पहले ही अब एलडीए ने योजना के भूखंडों को फ्री होल्ड करना भी बीते कुछ दिनों से शुरू कर दिया है। हालांकि प्राधिकरण ने शनिवार रात अपने इस संदेहास्पद कदम की जानकारी एक प्रेस विज्ञाप्ति के माध्यम से सार्वजनिक की है।
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दशकों से भ्रष्ट अफसर-बाबूओं के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी माने जाने वाली 45 साल पुरानी योजना को लेकर प्राधिकरण के इस फैसले से फिर सवाल उठने लगे हैं, हालांकि अपने फैसले को सही साबित करने के लिए प्राधिकरण बोर्ड बैठक के एक फैसले का सहारा ले रहा, वहीं जांच, अवैध कब्जाधारकों व संदिग्ध रजिस्ट्रियों को लेकर अफसर बोलने से बच रहें हैं।
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एक की जगह बीते पांच महीने, कागजों में दबी चेतावनी
बताते चलें कि बीते साल 13 दिसंबर को एलडीए की ओर से खुद मीडिया को बताया गया था कि ट्रांसपोर्ट नगर के करीब 19 सौ भूखंडों में से 292 प्लॉट के कोई कागज उसके पास नहीं है ऐसे में 292 प्लॉट के कब्जाधारक अगर एक महीने में भूखंड के कागज एलडीए को नहीं देंगे तो प्राधिकरण इन प्लॉट को खाली मानते हुए नीलाम कर देगा, जिसके बाद सारी जिम्मेदारी कब्जाधारक की होगी।
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सूत्रों की मानें तो प्राधिकरण की आवंटियों को डराने वाली इस चेतावनी के बाद भी करीब 170 कब्जाधारकों ने ही प्लॉट से जुड़े कागज एलडीए को दिए थे जिसकी जांचकर प्राधिकरण को बताना था कि यह सभी कागज असली है या फिर इनमें से कितनी फर्जी रजिस्ट्री से जुड़े हैं।
वहीं बाकि के 122 भूखंडों को नीलाम करना था, लेकिन एक की जगह करीब साढ़े पांच महीना बीतने के बाद एलडीए ने अपनी ही चेतावनी को दरकिनार करते हुए इन भूखंडों को न तो नीलाम किया और न ही जांच पूरी की। वो भी ऐसे हालात तब हैं, जबकि एलडीए अपनी संपत्तियों को ढूंढ-ढूंढकर नीलाम करने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चला रहा है।
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आज रात जारी एक प्रेस नोट के जरिए एलडीए के अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने मीडिया को बताया है कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना की शुरूआत साल 1980 में हुई थी। इसमें 50 से 1,000 वर्गमीटर तक के करीब 19 सौ प्लॉट हैं। जिनमें से अधिकांश पर गोदाम/एजेंसी आदि संचालित हैं। प्राधिकरण द्वारा उक्त प्लॉट लीज पर आवंटित किये थे। यहां के आवंटी लंबे समय से लीज डीड भूखंडों को फ्री-होल्ड करने की मांग कर रहे थे।
अपर सचिव ने फैसले के फेवर में तर्क देते हुए आगे बताया कि बीते 27 मार्च को हुई एलडीए की बोर्ड बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी थी। जिसके अनुपालन में भूखंडों को लीज से फ्री-होल्ड करने की सार्वजनिक सूचना जारी कर दी गयी है।
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आवंटियों को जनहित पोर्टल के माध्यम से फ्री-होल्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। साथ ही आवेदन पत्र, प्लॉट के लीज डीड की निबंधन कार्यालय से प्राप्त सत्यापित प्रति, लीज रेंट की रसीद व शपथ पत्र प्राधिकरण कार्यालय में देना होगा। जिसके आधार पर प्राधिकरण द्वारा नियमानुसार फ्री-होल्ड की कार्रवाई करेगा।