आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ में रविवार को ‘जय भीम पदयात्रा’ का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने हरी झंडी दिखाकर किया। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधन कर उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर न केवल भारत के संविधान निर्माता थे, बल्कि वे एक महान समाज सुधारक, चिंतक और न्यायप्रिय नेता भी थे।
साथ ही कहा कि उन्होंने जीवन भर सामाजिक असमानता के विरुद्ध संघर्ष किया। शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख साधन माना। उन्होंने ‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’ का जो संदेश दिया था, वही आज के युवाओं के लिए सबसे बड़ा पथ प्रदर्शक है।
उच्च शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि प्रकृति में आरंभ से ही सामाजिक समरसता और समता का भाव रहा है। डॉ अंबेडकर ने इस विचार को संविधान में मूलभूत अधिकारों और कर्तव्यों के माध्यम से सशक्त किया। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संविधान के मूल्यों को आत्मसात करते हुए समावेशी समाज के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। भारत एक है और हमें समतामयी, ममतामयी समाज की स्थापना करनी है।
ये यात्रा मरीन ड्राइव चौराहे से शुरू होकर अंबेडकर स्मृति स्थल पर संपन्न हुई। अंबेडकर की जयंती से एक दिन पूर्व आयोजित इस यात्रा में सैकड़ों युवाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय, समानता और संविधान के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाना रहा।
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कार्यक्रम की शुरुआत उच्च शिक्षा मंत्री ने सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल पर डॉ अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके मौन श्रद्धांजलि के साथ की। इसके बाद युवाओं के साथ संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया। साथ ही डॉ अंबेडकर के विचारों को उपस्थित जनसमूह के समक्ष रखा।