आरयू वेब टीम। जम्मू-कश्मीर में लंंबे अर्से बाद धीरे-धीरे हालात सामान्य होते दिखाई दे रहे हैं। यही कारण है कि राजनीतिक गतिविधियों की शुरुआत तेज हो रहीं। इन सबके बीच शनिवार को जम्मू-कश्मीर में सर्वदलीय बैठक हुई। इस बैठक में फारूक अब्दुल्ला के अलावा महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, युसूफ तारिगामी जैसे जम्मू-कश्मीर के बड़े नेता मौजूद रहे।
फारुख अब्दुल्ला के आवास पर हुई इस बैठक के बाद फारूक का बयान भी सामने आ गया है, जिसमे उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि बाहरी लोगों को जम्मू-कश्मीर में मतदान का अधिकार मिले। साथ ही कहा कि हम सीईओ द्वारा दिए गए आश्वासनों पर भरोसा नहीं कर सकते।
वहीं फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि हम दिल्ली की दूरी और दिल की दूरी को कम करेंगे, लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है। अपनी इस बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने साफ तौर पर कहा कि अलग-अलग पार्टियों के लोग एकजुट होकर अलग-अलग मुद्दों पर बैठक कर रहे हैं। इन सभी दलों को लगता है कि हर दिन नए कानून के आने के बाद से उनके अधिकारों पर हमला हो रहा है। हम बाहर से आने वाली पार्टियों को स्वीकार नहीं करते हैं।
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बता दें कि डीलिमिटेशन के बाद से जम्मू-कश्मीर में चुनाव की घोषणा हो सकती है। हालांकि, कांग्रेस ने साफ तौर पर कह दिया है कि वह गुपकार गठबंधन का हिस्सा नहीं है। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद जम्मू कश्मीर के कई और कांग्रेस नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के समर्थन में अपना इस्तीफा कांग्रेस को सौंप दिया था।
दरअसल अगस्त 2019 से में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था, जिसके बाद से जम्मू कश्मीर की सभी राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध किया था। फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता लगातार जम्मू कश्मीर में फिर से 370 लागू करने की मांग करते रहे हैं।