आरयू वेब टीम। अभिनेता कमल हासन के दिये गए बयान पर मचे विवाद का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कमल हासन की फिल्म ‘ठग लाइफ’ को राज्य में रिलीज नहीं किए जाने को लेकर कर्नाटक सरकार को मंगलवार को कड़ी फटकार लगाई है। साथ ही कहा कि भीड़ और नैतिकता के तथाकथित पहरेदारों को सड़कों पर हंगामा करने इजाजत नहीं दी जा सकती। जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि कानून का शासन स्थापित किया जाना चाहिए और लोगों को फिल्म देखने से रोकने के लिए उनके सिर पर बंदूक नहीं तानी जा सकती।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कर्नाटक सरकार को राज्य में फिल्म की रिलीज के बारे में जानकारी देने के लिए एक दिन का समय दिया। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से मंजूरी मिल जाती है तो उसे सभी राज्यों में रिलीज किया जाना चाहिए। साथ ही पीठ ने ये भी कहा कि यदि कमल हासन ने कुछ भी असुविधाजनक कहा है तो उसे अटल सत्य नहीं माना जा सकता और कर्नाटक के प्रबुद्ध लोगों को इस पर बहस करनी चाहिए थी और कहना चाहिए था कि वह गलत थे।
वहीं शीर्ष अदालत ने कन्नड़ भाषा को लेकर कमल हासन की टिप्पणी पर माफी मांगने के लिए उच्च न्यायालय की हाल की टिप्पणियों की भी आलोचना की और कहा कि माफी मांगने का काम उसका नहीं है। पीठ ने उच्च न्यायालय में लंबित फिल्म से संबंधित मामले को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित कर दिया तथा मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को तय की।
‘ठग लाइफ’ पांच जून को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हुई। वर्ष 1987 में आई ‘नायकन’ के बाद हासन और फिल्म निर्माता मणिरत्नम की जोड़ी वाली तमिल फिल्म ’ठग लाइफ’ कर्नाटक में रिलीज नहीं हो सकी, क्योंकि 70 वर्षीय हासन ने कन्नड़ भाषा के बारे में एक टिप्पणी की थी, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। शीर्ष अदालत कर्नाटक में फिल्म की रिलीज न होने को चुनौती देने वाले एम महेश रेड्डी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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उच्च न्यायालय ने हासन की इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना की थी कि ‘कन्नड़ भाषा की उत्पत्ति तमिल से हुई है।’ उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि ‘एक बार माफी मांगने पर स्थिति सुलझ सकती थी।’ दरअसल कमल हासन द्वारा चेन्नई में अपनी फिल्म के प्रचार कार्यक्रम में कथित तौर पर की गई इस टिप्पणी से कर्नाटक में तीखी प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स ने घोषणा की कि जब तक हासन माफी नहीं मांगते, तब तक राज्य में फिल्म प्रदर्शित नहीं की जाएगी।