आरयू ब्यूरो, लखनऊ। ई-टेंडर से बचने के लिए टुकड़ों में टेंडर कराने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसर-इंजीनियरों के खेल पर एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने रोक लगा दी है। अब दस लाख रुपये से कम के कामों की समान्य निविदा बहुत जरूरी होने पर ही कराई जाएगी। साथ ही सामान्य टेंडर निकालने के लिए अब अपर सचिव की जगह उपाध्यक्ष से मंजूरी लेनी होगी, इसके बाद ही टेंडर आमंत्रित किये जा सकेंगे।
वीसी प्रथमेश कुमार ने आज इस बारे में आदेश भी जारी कर दिया है। उपाध्यक्ष के इस आदेश से दस लाख से ज्यादा के कामों का टुकड़ों में टेंडर कराकर बंदरबांट करने के विशेषज्ञ माने जाने वाले इंजीनियर-अफसरों में हड़कंप मच गया है। वहीं उन टेंडरों के खुलने पर कैंसिल होने की तलवार लटक गयी है, जिनकी फाइलें ई-टेंडर से बचने के लिए इंजीनियर-अफसरों ने टुकड़ों में बनवाई है या फिर जान-बूझकर काम की कटौती करते हुए टेंडर को दस लाख से अंदर तक ही सीमित कर दिया है।
उद्यान के चार टेंडर दस लाख के अंदर सिमटे
वीसी के आदेश के बाद सामने आया है कि वर्तमान में इंजीनियर व अफसरों ने लोहिया पार्क की बाउंड्री बनाने व अन्य कामों के लिए नौ लाख 83 हजार, सात लाख चार हजार व सात लाख 14 हजार रुपये की तीन फाइलें बनाकर समान्य निविदा आमंत्रित की है। इसी तरह जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर चार के पास सफाई कराने के लिए नौ लाख 85 हजार रुपये का टेंडर निकाला है। एलडीए के ईमानदार व जिम्मेदार अफसर के लिए ध्यान देने वाली बात यह भी है कि चारों ही काम पूर्व में भी गड़बड़ी करने के लिए चर्चित रहे एलडीए के उद्यान अनुभाग से जुड़े हैं।
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बताते चलें कि पूर्व में ‘राजधानी अपडेट’ ने भी इसका खुलासा किया था कि ई-टेंडर से बचने के लिए इंजीनियर 50 लाख रुपए तक के काम का भी किस तरह समान्य टेंडर कराने से नहीं चूक रहें हैं। जिसका संज्ञान लेते हुए कमिश्नर रोशन जैकब ने टेंडर प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए स्पेशल कमेटी भी गठित की थीं, हालांकि कुछ समय बाद फिर से एलडीए में टेंडर मैनेज करने का खेल तेजी से चलने लगा।
समीक्षा-निरीक्षण में गड़बड़ी मिलने पर उपाध्यक्ष ने लिया फैसला
उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि उन्होंने खुद इंजीनियरिंग के कामों की समीक्षा करने के साथ ही विभिन्न योजनाओं में चल रहे कामों का निरीक्षण भी किया था। जिसमें पता चला कि कुछ जगहों पर ठेकेदारों जो काम कर रहें हैं उसमें क्वालिटी कंट्रोल का आभाव है। इसको ध्यान में रखते हुए निविदा आमंत्रित की व्यवस्था में बदलाव किये गये हैं।
वीसी ने बताया कि इससे निर्माण व विकास कार्यों के लिए ई-टेंडर की प्रक्रिया को बल मिलेगा। साथ ही अनुभवी व योग्य वेंडरों को कार्य आवंटित होने से काम की क्वालिटी भी सुधरेगी।
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कार्यवाहक चीफ इंजीनियर के.के. गौतम ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया के बदलाव के क्रम में अब 40 लाख से दो करोड़ रूपये तक के व्ययनुमानों की मंजूरी के बाद सबसे पहले टेक्निकल बिड और फिर फाइनेंशियल बिड खोलते हुए टेंडर मंजूर किए जाएंगे।
वहीं दो से पांच करोड़ रूपये तक के कामों की मंजूरी के बाद स्टैण्डर्ड बिड डाक्यूमेंट्स (एसबीडी), जिसमें प्री-बिड बैठक के बाद टेक्निकल और फाइनेंशियल बिड की स्वीकृति की कार्यवाही पूरी होगी।
इसके अलावा पांच करोड़ रूपये से ज्यादा के सभी व्ययनुमानों की मंजूरी के बाद क्वालिटी एंड कॉस्ट बेस्ड सेलेक्शन (क्यूसीबीएस) पद्धति के तहत टेंडर मंजूर किए जाएंगे। इसी तरह पीपीपी मॉडल व डिपाजिट वर्क के तहत होने वाले निर्माण व विकास कार्यों के लिए भी क्यूसीबीएस पद्धति के तहत टेंडर को मंजूरी दी जाएगी।