आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक से 146 करोड़ रुपये पार करने के लिए सरकारी विभागों के अफसर समेत अन्य 18 महीने से प्लानिंग व प्रयास कर रहे थे। इस दौरान फिल्मी स्टाइल में तीन सौ करोड़ रुपये बैंक से उड़ाने की चाहत में शातिरों ने एक करोड़ रुपये रहने, खाने डिवाइस व हैकर के पीछे खर्च कर डाले थे। इसका खुलासा मंगलवार को एसटीएफ ने किया है। एसटीएफ व साइबर क्राइम की टीम ने इस मामले में पांच अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया है। इनमें लोक भवन का सेक्शन अफसर व मास्टर माइंड रामराज और महमूदाबाद स्थित कोआपरेटिव बैंक का असिस्टेंट मैनेजर कर्मवीर समेत पांच आरोपित शामिल हैं। रामराज नौकरी दिलाने के नाम पर भी लोगों से लाखों रुपए की ठगी कर चुका था।
एसटीएफ के प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह ने आज बताया कि सोमवार रात ही मुखबिर की सूचना पर बासमंडी तिराहे के पास से पारा के गायत्री नगर निवासी घटना के मास्टर माइंड राम राज (अनुभाग अधिकारी, गृह अनुभाग-15, लोक भवन), दूसरे मास्टरमाइंड ध्रुव कुमार श्रीवास्तव निवासी सुनहली अलीगंज, के अलावा कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, भुगतान कार्यालय-महमूदाबाद, सीतापुर के सहायक प्रबंधक कर्मवीर सिंह निवासी रतन खंड, आकाश कुमार निवासी सुनहली अलीगंज और रायबरेली रोड स्थित रुचि खंड निवासी भूपेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया है, जबकि कुछ अन्य की इस मामले में तलाश चल रही है।
पांचों के पास से ये सामान व कैश बरामद
एसटीएफ के अनुसार पकड़े गए आरोपितों के पास से क्रेटा कार, दो बाइक, करीब 15 हजार कैश, एक बैंक आइडी कार्ड, 25 सेट आधार कार्ड व हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक, 25 सेट निवास प्रमाण पत्र एवं भारतीय गैर न्यायिक स्टाम्प सादे हस्ताक्षरित, 25 सेट हाईस्कूल व इंटर के मूल अंक पत्र व प्रमाण पत्र, आठ मोबाइल, सात एटीएम कार्ड, एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, एक मैट्रो कार्ड, एक निर्वाचन कार्ड व एक डीएल बरामद हुआ है।
जेल भेजे जा चुके आरएस दुबे से जुड़े थे पांचों के तार
प्राथमिक पूछताछ में एसटीएफ को पता चला है कि पांचों को पूर्व बैंक मैनेजर आरएस दुबे ने गिरोह में जोड़ा था। बताते चलें कि आरएस दुबे के अलावा 146 करोड़ के साइबर क्राइम के मामले में बिल्डर गंगा सागर चौहान और साइबर एक्सपर्ट सतीश को एसटीएफ पहले ही गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है।
इस तरह दिया था पूरी घटना को अंजाम
पकड़े गए मास्टर माइंड ध्रुव कुमार ने आज एसटीएफ को बताया कि वह शाहजहांपुर से लखनऊ अपने दोस्त ज्ञानदेव पाल के साथ मई 2021 में आया था। यहां मेरी मुलाकात आकाश कुमार से हुई। आकाश के माध्यम से ही मैं और ज्ञानदेव पाल, एक ठेकेदार से मिले। उसने बताया कि मेरे पास एक हैकर है। यदि हम लोग बैंक के किसी अधिकारी को सेट कर लें तो बैंक के सिस्टम को रिमोट एक्सिस पर लेकर हम लोग लगभग तीन सौ करोड़ रूपये अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेंगे।
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इसके बाद हम लोगों की मीटिंग भूपेंद्र सिंह के माध्यम से कर्मवीर सिंह सहायक प्रबंधक यूपी कोऑपरेटिव बैंक महमूदाबाद से हुई। हम लोगों ने मुंबई से एक हैकर बुलाया, जिसको मैने होटल कम्फर्ट जोन चारबाग में रूकवाया। उस हैकर द्वारा एक डिवाइज तैयार की गयी, जिसको कर्मवीर सिंह व ज्ञानदेव पाल डिवाइस को बैंक के सिस्टम में लगाते रहे। आठ बार प्रयास किया गया पर सफलता नही मिली।
इसी बीच हम लोगों की मुलाकात रामराज जो कि लोक भवन में अनुभाग अधिकारी से हुई। इन्हीं की टीम में उमेश गिरी था, जिसने आरएस दुबे (पूर्व बैंक प्रबंधक) से संपर्क किया।
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इसके बाद प्लॉन बनाकर बीते 14 अक्टूबर को आरएस दुबे, रवि वर्मा व ज्ञानदेव पाल शाम छह बजे के बाद बैंक पहुंचे और कंप्यूटर में कीलागर इन्सटाल कर डिवाइस लगायी। अगले दिन 15 अक्टूबर को सुबह हम लोग (पांच टीमों के लगभग 15-20 लोग के साथ) केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास पहुंचे।
इसके बाद रवि वर्मा व आरएस दुबे बैंक के अंदर गए, क्योंकि जब बाहर से ट्रांजेक्शन होता तो वह लोग सिस्टम में इन्सटाल साफ्टवेयर को अनइन्सटाल कर देते व सिस्टम में लगे डिवाइस व बैंक में लगे डीवीआर निकाल लेते, परंतु गार्ड ने उनको अंदर टोक दिया, जिसके बाद यह लोग वापस आ गये।
प्लॉन फेल होने के बाद दूसरी प्रयास करते हुए बैंक के लंच के समय ज्ञानदेव पाल, उमेश गिरी, बैंकर व साइबर एक्सपर्ट के साथ मिलकर 146 करोड़ रूपये गंगा सागर सिंह की कंपनियों के अलग-अलग खातों में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिये।
घटना को अंजाम देने के बाद गैंग के सभी सदस्य फैजाबाद रोड स्थित एक ढाबे पर पहुंचे, इसी बीच मामले का पता चलते ही बैंक की सूचना पर पुलिस ने गंगा सागर का बैंक खाता फ्रीज करा दिया था। दो-तीन घंटे के प्रयास के बाद जब रूपये गंगा सागर के एकाउंट से ट्रांसफर नहीं हुए तब मैं भी अपनी टीम के साथ नैनीताल भाग गया व अन्य लोग भी फरार हो गये।
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ध्रुव ने यह भी बताया कि वह लोग तीन सौ करोड़ उड़ाना चाहते थे, इसके लिए उसकी गैंग 18 महीने से प्लॉनिंग व कोशिश कर रही थी। इन 18 महीनों के दौरान ही कंफर्ट होटल कमरों को ही बुक कराने के नाम पर 30 लाख का भुगतान किया था। इसके अलावा 15-20 लाख रूपये मेरे द्वारा और भी खर्च किये गये हैं। डिवाइस के लिये गिरोह के अन्य सदस्यों ने भी लगभग 50 लाख रूपये खर्च किये थे। इस काम में हम लोगों के करीब एक करोड़ रुपये हो चुके थे।
लोक भवन में बैठकर नौकरी के नाम पर ठगी का धंधा चला रहा था राम राज
वहीं यह भी एसटीएफ ने खुलासा किया है कि अनुभाग अधिकारी रामराज नौकरी दिलाने के नाम लाखों रुपये लोगों से ठग चुका था। बरामद हाईस्कूल व इंटर के मूल अंक पत्र व प्रमाण पत्र, आधार कार्ड व हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक, निवास प्रमाण पत्र एवं भारतीय गैर न्यायिक स्टाम्प सादे हस्ताक्षरित मिलने पर रामराज ने एसटीएफ को बताया उसने अपने साथी विनय गिरी के साथ मिलकर 120-130 बच्चों को विभिन्न सरकारी विभागों (रेलवे ग्रुप सी, ग्रुप डी, हाइ कोर्ट, एनटीपीसी, टीजीटी, पीजीटी, एनम आदि) में भर्ती करने के नाम पर पद के अनुसार रूपये ले रखे हैं और भर्ती होने के बाद भी कुछ रूपये की बात की है। उनमें से कुछ की अपने आप ही भर्ती हो चुकी है, जिनसे बाद में और पैसा लिया जाना था पैसा मिलने पर वह सारे कागजात लौटाने वाला था। रामराज ने बताया कि वह सचिवालय में अनुभाग अधिकारी है, इसी वजह से मुझे भर्ती संबंधित जानकारी आसानी से मिल जाती है, जिसका लाभ उठाकर मैं लोगों का भरोसा जीतकर फ्रॉड करता था।