लखीमपुर हत्‍याकांड में केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, फैसला रखा सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। लखीमपुर हत्‍याकांड में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्‍वरी की बेंच में गुरुवार को मामले की सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई में ट्रायल जज ने रिपोर्ट में बताया था कि मामले का ट्रायल पूरा होने में कम से कम पांच साल लगेंगे। आज हुई सुनवाई के दौरान आशीष मिश्रा की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो एक साल से जेल में हैं। एक बार जमानत मिली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। ट्रायल को पांच साल से ज्यादा लगेंगे। उनको जमानत दी जानी चाहिए।

वहीं रोहतगी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने खुद कहा है कि ट्रायल पांच साल तक चलेगा। 218 गवाह, 27 एफएसएल रिपोर्ट और भी मामले हैं। कुल मिलाकर ट्रायल में सात से आठ साल लग सकते हैं। आरोपित मौके पर नहीं था, बल्कि एक कुश्ती मैदान में मौजूद था, जहां यूपी के वरिष्ठ मंत्री आने वाले थे। कुश्ती के मैदान में उसकी तस्वीरें हैं। उस समय मोबाइल फोन की लोकेशन भी वही की है। वह ड्राइविंग सीट पर नहीं था और एक अन्य सह-आरोपी को गाड़ी से बाहर आते देखा गया था।

रोहतगी ने कहा कि ये मामला सोची समझी साजिश का नहीं है। ये मामला लोगों के हिंसा करने से हुआ। यूपी सरकार ने आशीष मिश्रा समेत सभी आरोपितों की जमानत का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम फिलहाल ये देख रहे हैं कि 200 से ज्यादा गवाह हैं। यूपी सरकार के जमानत का विरोध करने के आधार क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। कानून अपना काम करेगा। दोनों केसों में कुल 400 गवाह हैं। वो दोषी है या नहीं ये ट्रायल का विषय है। सवाल ये है कि इस समय जमानत दी जाए या नहीं। हम उसे एक निर्दोष व्यक्ति के रूप में नहीं मान रहे हैं, लेकिन जमानत दिए जाने पर आपकी क्या आशंकाएं हैं? जमानत का विरोध करने का आधार क्या है? चार्जशीट फाइल हो चुकी है। चार्ज फ्रेम हो चुका है।

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यूपी सरकार ने कहा कि इस मामले में आशीष मिश्रा को जमानत न दी जाए। लखीमपुर की घटना बहुत पीड़ा वाली थी और यह गंभीर मामला है। अगर आशीष मिश्रा को जमानत मिलती है तो समाज में इसका गलत संदेश जाएगा। पीड़ितों की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि उसको जमानत नहीं दी जा सकती। अगर जमानत मिली तो ये दुर्भाग्यपूर्ण होगा। ये कोल्ड ब्लेडेड मर्डर है। सोची समझी साजिश है।

दुष्यन्त दवे ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। आरोपित और उसके मंत्री पिता ने पीड़ितों को डराया-धमकाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपित के पिता मंत्री हैं, लेकिन इस मामले में आरोपित नहीं हैं। वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जघन्य अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट को आरोपितों को जमानत नहीं देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या हम मूकदर्शक बने रहें? कानून के तहत जमानत की मांग की सुनवाई करना और निर्णय देना हमारी शक्ति के तहत है। क्या जहां पूरी नाइंसाफी हुई हो, वहां भी हम जमानत न दें? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि हर केस में जमानत हो। हम कह रहे हैं कि उचित केसों में जमानत दे सकते हैं।

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