आरयू ब्यूरो, लखनऊ। भ्रष्टाचार और आवंटियों से मनमानी के लिए बहुचर्चित लखनऊ विकास प्राधिकरण के कर्मी अपने विभाग को अदालतों में भी चोट पहुंचाने से नहीं चूक रहें हैं। ऐसे ही एक मामला सामने आने पर एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने लंबे समय से प्रापर्टी में जमे दो बाबूओं पर कड़ी कार्रवाई की है। वीसी ने एक बाबू को जहां सीधे निलंबित कर दिया है तो वहीं दूसरे को प्रतिकूल प्रवृष्टि दी है।
ये पूरा मामला गोमतीनगर के विनीत खंड स्थित एलडीए के एक मकान से जुड़ा है। जहां नौ महीने तक एलडीए के बाबूओं द्वारा कोई पैरवी नहीं करने पर कोर्ट ने पीड़ित आवंटी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए एलडीए को न सिर्फ उन्हें मकान देने का आदेश दिया, बल्कि जुर्माना भी लगाया है।
उजागर होने पर करेंगे कठोर से कठोर कार्रवाई
साथ ही उपाध्यक्ष ने आज चेतावनी जारी कर अपने ही विभाग से दगा करने वालों को चेताया है। वीसी ने मीडिया से कहा है कि विधिक प्रकरणों में इस तरह की लापरवाही उजागर होने पर संबंधित अफसर-कर्मी के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।
वकील ने 58 केसों की लिस्ट सौंप बताई थीं हकीकत
बताते चलें पिछले महीने ही एलडीए के पैनल के एक जागरुक अधिवक्ता ने भी भ्रष्टाचार व लापरवाही के चलते प्राधिकरण से विश्वासघात करने वालों की कारस्तानी से वीसी को अवगत कराया था। सीनियर वकील ने प्रापर्टी, इंजीनियरिंग, अर्जन, नजूल व प्रवर्तन से संबंधित विभिन्न सिविल जज, एफटीसी व एडीजे की अदालतों में चल रहे अरबों रुपये की संपत्तियों के कुल 58 केसों की लिस्ट उपाध्यक्ष को देते हुए बताया था कि इन मामलों में प्राधिकरण की तरफ से संबंधित अफसर-कर्मी जवाब नहीं दाखिल कर रहें ऐसे में पैरवी नहीं होने के चलते अदालतें प्राधिकरण के खिलाफ एकतरफा फैसला सुना सकती हैं, जिससे एलडीए को काफी क्षति पहुंचेगी।
गंभीर प्रकरण संज्ञान में आने के बाद प्रथमेश कुमार ने सभी अनुभागाध्यक्ष को पत्र लिखते हुए प्रभावी पैरवी करने के लिए भी चेताया था। हालांंकि कुछ कर्मियों पर इसका भी असर नहीं होने की बात सामने आ रही थीं, जिसके बाद आज वीसी ने दो बाबूओं पर कार्रवाई कर बिगड़ैल मातहतों को और कड़ा संदेश देने की कोशिश की है।
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अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि गोमती नगर के विनीत खंड स्थित एलआइजी मकान के आवंटन के मामले में मोहम्मद नसीम द्वारा प्राधिकरण के विरूद्ध जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-2 में शिकायत संख्या-256/2024 दर्ज करायी थी। इस केस में प्राधिकरण की ओर से प्रभावी पैरवी के लिए अधिवक्ता श्रुति साहू को नामित किया गया था। जिसकी सूचना विधि अनुभाग ने गोमती नगर प्रापर्टी अनुभाग के संबंधित कर्मचारियों को पिछले साल 12 जुलाई को पत्र के माध्यम से दी थी। लेकिन, कर्मचारियों ने सूचना पत्र का कोई संज्ञान नहीं लिया। नतीजा यह हुआ कि किसी ने भी आयोग के समक्ष केस की पैरवी नहीं की और 15 अप्रैल को आयोग ने प्राधिकरण के खिलाफ एकपक्षीय निर्णय पारित कर दिया है।
प्राधिकरण को आर्थिक क्षति पहुंचाने के साथ ही उसकी साख पर भी चोट पहुंचाने वाले इस इस फैसले की जानकारी होने पर उपाध्यक्ष ने जब मामले में रिपोर्ट तलब की तो बाबू कारस्तानी खुल गयी। इस पर उपाध्यक्ष ने सख्त कार्रवाई करते हुए वर्तमान में योजना का काम देख रहे कनिष्ठ लिपिक अशोक कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में अशोक सिंह को अधिष्ठान अनुभाग से सम्बद्ध किया गया है। साथ ही मामले की विस्तृत जांच कर आरोप पत्र तैयार करने के लिए नजूल अधिकारी प्रभाकर सिंह को जांच अधिकारी नामित किया गया है।
छह महीने फाइल दबाने वाले बाबू को प्रतिकूल प्रवृष्टि
वीसी ने जानकारी की तो पता चला कि अशोक से पहले विनीत खंड का काम देखने वाला बाबू हरिनाम रावत बीती फरवरी तक केस की फाइल दबाए था। मामले में पूर्व में काम देखने वाले बाबू हरिनाम रावत को भी दोषी मानते हुए वीसी ने प्रतिकूल प्रवृष्टि दी है। वहीं इसी मामले में गोमती नगर प्रापर्टी अनुभाग के उप सचिव अतुल कृष्ण सिंह के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
राज्य आयोग में अपील करेगा एलडीए
साथ ही वीसी ने संबंधित अफसरों को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-2 के फैसले के खिलाफ राज्य आयोग में अपील करने के निर्देश दिये हैं।