आरयू ब्यूरो, लखनऊ। फर्जी रजिस्ट्री, अवैध कब्जे व एनओसी के नाम पर बैंक लोन के प्रतिशत में कमीशनखोरी के लिए एलडीए की लगभग सबसे बदनाम ट्रांसपोर्ट नगर योजना की जांच का जिन एक बार फिर बाहर आया है। एलडीए ने शुक्रवार को दावा किया है कि योजना के 292 भूखंडों से जुड़ा कोई भी दस्तावेज उसके पास नहीं है। ऐसे में कब्जा धारकों से कागज मांगें गए हैं अगर एक महीने के अंदर कागज नहीं मिला तो प्लॉट को खाली मानते हुए उसे नीलाम कर दिया जाएगा।
एलडीए अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि ट्रांसपोर्ट नगर योजना की शुरूआत साल 1980 में की गयी थी। योजना में 50 से हजार वर्गमीटर के करीब 19 सौ प्लॉट हैं। जिनमें अधिकांश पर गोदाम व एजेंसी आदि संचालित है। बीते दिनों योजना के 17 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री की शिकायत मिली थी। जांच कराने पर 13 भूखंडों की रजिस्ट्री फर्जी मिली थीं, जिसमें मुकदमा भी दर्ज कराया गया था।
हाल ही में हुई फ्री होल्ड की मांग तेज
अपर सचिव ने बताया कि हाल ही में लोगों द्वारा ट्रांसपोर्ट नगर के भूखंडों का फ्री होल्ड किये जाने की मांग उठाने पर फाइलें खंगाली गयी तो पता चला कि 292 भूखंडों का प्राधिकरण में किसी भी तरह का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। ऐसे में यह पता लगा पाना संभव नहीं है कि उक्त प्लॉट कब, किसे और कैसे आवंटित किये गये।
वेबसाइट पर अपलोड होगी लिस्ट
ज्ञानेंद्र वर्मा के मुताबिक एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार के निर्देश पर सार्वजनिक सूचना जारी करते हुए लोगों से 292 भूखंडों से संबंधित मूल अभिलेखों के साथ दावा प्रस्तुत करने को कहा गया है। जिसके लिए ट्रांसपोर्ट नगर में जगह-जगह होर्डिंग लगाने के साथ ही प्राधिकरण की वेबसाइट पर भी उक्त भूखंडों की लिस्ट अपलोड की जा रही है।
सूचना जारी होने के एक महीने के अंदर लोगों को प्लॉट से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। जांच में दस्तावेज सत्यापित होने पर संबंधित को प्लॉट का वास्तविक मालिक माना जाएगा। दस्तावेज नहीं मिलने पर प्राधिकरण उन भूखंडों को खाली मानते हुए ई-नीलामी के माध्यम से बेच देगा। जिसके बाद सारी जिम्मेदारी संबंधित भूखंड के आवंटी की होगी।
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सालों से शक व विवादों में घिरी योजना
बताते चलें कि बीते कई सालों से ट्रांसपोर्ट नगर योजना लगातार शक के घेरे व तरह-तरह के विवादों में घिरी है। करीब तीन महीना पहले यहां एक बिल्डिंग गिरने से आठ लोगों की मौत भी हो गयी थीं। बिल्डिंग न सिर्फ अवैध थीं, बल्कि इसके आवंटन में भी खेल किए जाने की बात सामने आयी थीं, लेकिन बाद में मामले को दबा दिया गया। वहीं कॉमर्शियल अनुभाग ने ट्रांसपोर्ट नगर के एक ऐसे प्लॉट की नीलामी निकाली थीं, जिसपर पहले से ही बिल्डिंग बनीं थीं।
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इस तरह के कई मामलों से समझा जाता है कि एलडीए के कुछ अफसर व बाबूओं ने फर्जी रजिस्ट्री व अवैध कब्जा करने वाले गैंग के साथ सिंडीकेट बनाते हुए सैकड़ों प्लॉटों में गड़बड़ी कर प्राधिकरण को अरबों रुपये की क्षति पहुंचाई है। एलडीए के कई उपाध्यक्ष अब तक इस योजना की जांच कराने की बात कह चुके हैं, लेकिन आज तक कोई भी आइएएस अफसर इसकी जांच पूरी नहीं करा सका।
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सात दिन का दावा, नौ महीने में भी जांच नहीं, अब सबसे युवा वीसी से उम्मीद
पिछले साल अक्टूबर में तत्कालीन वीसी इंद्रमणि त्रिपाठी ने तो योजना के 1925 प्लॉट में से 292 की जगह 371 भूखंडों की फाइल एलडीए में नहीं होने की बात कहते हुए सात दिन में जांच पूरी कराने व दोषियों पर कार्रवाई करने का मीडिया के सामने दावा किया था, लेकिन सात दिन तो दूर वह नौ महीने में भी प्राधिकरण को अरबों रुपये की चोट देने वाली योजना की जांच पूरी नहीं करा पाएं और फिर बीती जुलाई में शासन ने उनका एलडीए से तबादला कर दिया। हालांकि उनके बाद आए एलडीए इतिहास के सबसे युवा उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार से लोग जांच पूरी कराने व दोषियों पर कार्रवाई करने की उम्मीद लगा रहें हैं।