सोनम वांगचुक के आंदोलन में छात्रों की पुलिस से झड़प, युवाओं ने फूंका भाजपा कार्यालय व वाहन

छात्रों का प्रदर्शन
प्रदर्शन करते छात्रों ने लगाई सीआरपीएफ की गाड़ी में आग।

आरयू वेब टीम। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह में बुधवार को पर्यावरणविद सोनम वांगचुक की लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग के समर्थन में छात्रों के सड़कों पर उतरने के साथ ही बड़ा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। इस दौरान छात्रों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। हालांकि शांतिपूर्ण रूप से शुरू हुआ ये प्रदर्शन पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प के बाद उग्र हो गया।

वहीं प्रदर्शनकारी छात्रों ने लेह में भाजपा कार्यालय में आग लगा दी है। इतना ही नहीं, सीआरपीएफ की गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया। जिसके बाद सुरक्षाबलों को पूरे इलाके में अपनी तैनाती बढ़ानी पड़ी। प्रदर्शनकारियों, जिनमें से कई युवा छात्र थे, ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर नारे लगाए।

दरअसल सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लंबे समय से अनशन पर हैं। उनकी अपील को व्यापक समर्थन मिला है, खासकर युवाओं के बीच, जो केंद्र पर इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने में विफल रहने का आरोप लगाते हैं। जैसे ही पुलिस ने लेह में आंदोलन को नियंत्रित करने की कोशिश की, स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई, छात्रों ने नारे लगाए और अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया।

प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ झड़पों के बीच भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में आग लगा दी। बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू और कश्मीर दो भागों में विभाजित हो गया। जम्मू और कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया, जबकि लेह और कारगिल को मिलाकर लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। लद्दाख का यही वह क्षेत्र है जिसके लिए अब पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठ रही है।

ये हैं चार प्रमुख मांगें

लद्दाख में हो रहे विरोध प्रदर्शन के केंद्र में चार मांगें हैं। इनमें पूर्ण राज्य का दर्जा, आदिवासी राज्य का दर्जा, यहां के लोकल को सरकारी नौकरी में आरक्षण मिले और लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीट हो। वहां के लोग चाहते हैं कि उन्हें  ज्यादा अवसर मिले। यही वजह है कि नौकरी में आरक्षण और वहां के स्थानीय लोगों को आदिवासी का दर्जा दिया जाए, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो यहां के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं हो पाएगा।

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वहीं केंद्र सरकार ने इस मामले पर निर्णय के लिए छह अक्टूबर की तारीख तय की है, लेकिन प्रदर्शनकारी इससे पहले समाधान की मांग कर रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी नेता ने कहा कि हमारी मांग तत्काल कार्रवाई की है। लद्दाख के लोग अब और इंतजार नहीं कर सकते।

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