आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लगा है। मायावती को झटका दे बसपा नेता और आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे गुड्डू जमाली सपाई हो गए हैं। बुधवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने खुद उन्हें समाजवादी पार्टी की सदस्यता दिलाई। जमाली के सपा में शामिल होने पर समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि हमेशा उनका सम्मान रहेगा।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली समाजवादी पार्टी में हजारों समर्थकों के साथ शामिल हुए। इस अवसर पर अखिलेश यादव ने कहा कि एक मजबूत नेता हमारे साथ आया है। इसका संदेश दूर तक जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि इस पार्टी में शाह आलम को अपने घर जैसा लगेगा।
मीडिया से बातचीत में गुड्डू जमाली ने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी ने देश के सामने संकट पैदा किया है। संविधान को बदलने की नीयत है और इसी के साथ-साथ पूरी तरह से लोकतंत्र की जितनी भी मान्यताएं थी उनको समाप्त करने की कोशिश की है तो देश के बचाने का काम पीडीए के लोग करेंगे ही। पीडीए के साथ-साथ देश में सबसे दुःखी किसान, नौजवान और मुसलमान है, उसकी लड़ाई हम सब लोग मिलकर लड़ेंगे।
इस दौरान शिवपाल ने कहा कि भाजपाई राम की कसम खाते हैं, लेकिन राम की झूठी कसम खाते हैं। हम भी राम को मानते हैं, लेकिन हम राम के नाम पर झूठ नहीं बोलते। आज हम गुड्डू जमाली और उनके साथ आए सभी का स्वागत करते हैं।
कौन हैं गुड्डू जमाली?
गुड्डू जमाली आजमगढ़ स्थित मुबारकपुर के निवासी हैं। साल 2022 में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर दमदारी से चुनाव लड़ा था, जबकि सपा की ओर से यहां अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया था। इस उपचुनाव में अखिलेश यादव का चुनावी समीकरण भी बिगड़ गया था और धर्मेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा था और भाजपा के दिनेश लाल निरहुआ चुनाव जीत गए थे।
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आजमगढ़ सीट समाजवादी पार्टी का कभी गढ़ रही है। 2019 में इस सीट पर अखिलेश यादव की जीत हुई थी, लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव के बाद जब उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दिया तो उपचुनाव में ये सीट सपा के हाथ से निकल गई थी। धर्मेंद्र यादव की हार के पीछे गुड्डू जमाली सबसे बड़ी वजह बने थे। इस उपचुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल निरहुआ 3,12,768 वोट मिले, जबकि सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को 3,04,089 वोट और गुड्डू जमाली को 2,66,210 मिले। अगर बसपा ने उन्हें खड़ा नही किया होता यहां से सपा की जीत हो सकती थी।
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