आरयू ब्यूरो, लखनऊ। राजधानी के चिनहट में सेहत के लिए हानिकारक चाइनीज लहसुन की बिक्री पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के नामित अफसर को शुक्रवार को कोर्ट में तलब करते हुए प्रदेश सरकार से पूछा है कि चाइनीज लहसुन कैसे बाजार में बेचा जा रहा है, जबकि उस पर प्रतिबंध है। बैन के बाद भी चायनीज लहसुन बिकने पर कोर्ट ने विभागीय अधिकारियों को तलब किया था। एक अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी।
एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया है। इस मौके पर केंद्र सरकार की तरफ से सॉलीसीटर जनरल और राज्य सरकार के वकील भी मौजूद थे। चायनीज लहसुन को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हुए केंद्र सरकार ने साल 2014 में इसे बैन कर दिया था। दो दिन पहले एक याची ने हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की। याची ने कहा सस्ता होने की वजह से चायनीज लहसुन को बाजार में बिक रहा है, जबकि विभाग कार्रवाई का दिखावा कर रहा है। कोर्ट ने खाद्य एवं सुरक्षा विभाग विभाग के अधिकारी से 15 दिन में जांच रिपोर्ट देने को कहा है।
यह भी पढ़ें- कोचिंग सेंटर में डूबकर तीन छात्रों की मौत पर HC ने लगाई फटकार, पूछा कितने अफसर हुए गिरफ्तार
अधिकारी बोले- टोल फ्री नंबर जारी किया है कोर्ट में खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया की चीनी लहसुन की सूचना देने के लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर (180 1805533) भी जारी किया है। उन्होंंने बताया कि टीमें बनाकर मंडियों में छापेमारी की गई। लेकिन चायनीज लहसुन मार्केट में नहीं मिला। लहसुन न्यायालय ने पूछा कि चाइनीज लहसुन बाजारों में कैसे खुलेआम बेचा जा रहा है? जबकि उस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि देश में प्रतिबंधित चाइनीज लहसुन को रोकने के लिए क्या तंत्र है? याची हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान याची ने चिनहट बाजार से खरीदकर आधा किलोग्राम चाइनीज लहसुन भी कोर्ट में पेश कर दिया था। याची की ओर से कहा गया कि चीन का लहसुन 2014 से ही देश में प्रतिबंधित है, लेकिन अब तस्करी के जरिए मार्केट में आ रहा है।
सेहत के लिए हानिकारक
कहा गया कि चाइनीज लहसुन पर प्रतिबंध इसलिए लगाया गया, क्योंकि यह सेहत के लिए हानिकारक है। इसमें कीटनाशकों का उच्च स्तर पर प्रयेाग होता है। इसके फंगसयुक्त होने का भी डर होता है। याची ने कोर्ट में बताया की प्रतिबंध के बावजूद देशी लहसुन से काफी सस्ता होने की वजह से यह चाइनीज लहसुन अवैध तरीके से बाजार में उतारा जा रहा है। इस पर केंद्र व राज्य सरकारें लगाम लगाने में असमर्थ दिख रही हैं।न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद एक अक्टूबर की तारीख तय की।
चायनीज लहसुन को लेकर विवाद
चायनीज लहसुन को लेकर विवाद की वजह जानें यूपी की बात करें तो लखनऊ प्रयागराज, वाराणसी गोरखपुर समेत कई जिलों की मंडियों में पिछले तीन से चार महीनों से लहसुन 25 हजार रु से 30 हजार प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा है। इस बीच प्रदेश की मंडियो में चीन से आने वाली लहसुन की आवक भी हो रही है। जो 18 से 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। ऐसे में प्रदेश के जो लहसुन व्यापारी देशी लहसुन स्टॉक कर चुके हैं उन्हें बड़ा नुकसान होने की आशंका है।
व्यापारियों को नुकसान…
लहसुन स्टॉक करने वाले व्यापारियों को नुकसान मंडी व्यापारियों का कहना है कि चीनी लहसुन की एंट्री से उन्हें प्रति क्विंटल 5000 से 7000 रु तक नुकसान हो सकता है। यही स्थिति लहसुन उत्पादक किसानों की है, जिन्हें चीनी लहसुन के कारण अपनी उपज सस्ते में बिकने की आशंका है। ऐसे में किसानों के साथ ही मंडी कारोबारियों को भी चायनीज लहसुन की आवक से चिंता सता रही है।