आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के विरोध की मुहिम तेज हो गई है। शुक्रवार को वक्फ बिल के विरोध का अंतिम दिन है। मस्जिदों में जुमा की नमाज के दौरान खुतबा में बिल के संबंध में नमाजियों को जागरूक किया गया। इस दौरान शाही जामा मस्जिद में बड़ी तादाद में नमाजियों ने क्यूआर कोड स्कैन कर अपना विरोध दर्ज कराया है।
जुमे कि नमाज में खुतबे में मौलाना ने नमाजियों को जागरूक कर कहा कि प्रस्तावित बिल आने से 70 प्रतिशत वक्फ संपत्ति डेंजर जोन में चली जाएगी। बिल का हम शुरू से विरोध कर रहे हैं। वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 में 40 बिंदु शामिल किए गए हैं। साथ ही कहा कि वक्फ संपत्ति के बारे में लोगों को गुमराह किया जा रहा है। यह वह संपत्ति है जो हमारे बुजुर्गों ने अल्लाह के नाम पर दान कर दिया। इसका बड़ी संख्या में इस्तेमाल मस्जिद , मदरसा और दरगाह के रूप में किया जा रहा है।
इतना ही नहीं वक्फ की संपत्ति में शामिल कोई भी जमीन किसी दूसरे धर्म की नहीं है। कहीं भी वक्फ की संपत्ति में कोई अवैध जमीन दर्ज नहीं किया गया है। इस्लाम धर्म के अनुसार वक्फ में अवैध जमीन स्वीकार ही नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमारे बुजुर्गों की संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में लेना चाहती है जो कि सरासर गलत है।
मौलाना खालिद ने कहा कि बिल में 40 बिंदुओं पर संशोधन की बात कही जा रही है। जिसमें अधिकतर बिंदु अनावश्यक हैं। वक्फ अधिनियम 2014 वक्फ संपत्ति के संरक्षण के लिए पर्याप्त था। नया बिल पेश करके सरकार ने आम मुसलमान के अंदर एक बेचैनी पैदा कर दी है। आम मुसलमान जिनको बिल के बारे में जानकारी नहीं थी उन्हें अवगत कराया गया।
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वक्फ बिल को लेकर मौलाना सुफियान ने कहा कि जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी) को लोग अपनी राय भेज रहे हैं। इस संबंध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के द्वारा एक क्यूआर जारी किया गया है उसी को स्कैन करके विरोध दर्ज कराया गया है। नमाज के बाद सभी नमाजी बारकोड को स्कैन करके अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। ईदगाह समेत लखनऊ की अन्य मस्जिदों के बाहर क्यूआर कोड लगाया गया है। अब तक 1.5 करोड़ से अधिक मुसलमानों ने पूरे भारत से जेपीसी कमेटी को बिल के विरोध में अपनी राय भेजा है।