आरयू वेब टीम। मणिपुर में हिंसक वारदातें एक बार फिर से शुरू हो गई हैं। सरकार ने मौजूदा कानून- व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर बुधवार को पूरे राज्य को “अशांत क्षेत्र” घोषित कर दिया। विवरण के अनुसार, 19 विशिष्ट पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) के तहत “अशांत क्षेत्र” घोषित किया गया है।
राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार, अधिकारियों की राय है कि “विभिन्न चरमपंथी/विद्रोही समूहों की हिंसक गतिविधियों के कारण पूरे मणिपुर राज्य में नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों के उपयोग की आवश्यकता है।” अधिसूचना में आगे कहा गया है कि “राज्य में छह महीने से समग्र कानून और व्यवस्था की स्थिति और राज्य मशीनरी की क्षमता को देखते हुए, राज्य सरकार ने वर्तमान अशांत क्षेत्र की स्थिति पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया है”।
बाहर किए गए 19 पुलिस स्टेशन क्षेत्र इम्फाल, लाम्फेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पाटसोई, वांगोई, पोरोम्पैट, हेइंगांग, लामलाई, इरिलबंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरंग, काकचिंग और जिरीबाम के अंतर्गत आते हैं।
राज्य की राजधानी इंफाल में मंगलवार को दो छात्रों के अपहरण और हत्या के खिलाफ छात्र समूहों ने बड़े पैमाने पर विरोध रैलियां निकालीं। छात्रों के संगठनों के दृश्य ऑनलाइन सामने आने के बाद मंगलवार को विरोध प्रदर्शन का नया दौर शुरू हुआ। प्रदर्शनकारियों की रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के साथ भी झड़प हुई, जिसमें कम से कम 45 प्रदर्शनकारी घायल हो गए।
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संभावित हिंसा की आशंका में मणिपुर पुलिस, सीआरपीएफ और आरएएफ कर्मियों की बड़ी टुकड़ियों को इंफाल और राज्य के अन्य हिस्सों में तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि वह “राज्य के लोगों को आश्वस्त करते हैं कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों अपराधियों को पकड़ने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।” दोनों युवकों की हत्या का मामला सीबीआइ को सौंप दिया गया है।