आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ रविवार से फिर शुरू हो गया। इस दौरान पीएम मोदी ने कई मुद्दों पर बात की। मन की बात के 111वें संस्करण में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वो दिन आ ही गया जिसका हम सभी फरवरी से इंतजार कर रहे थे। मैं ‘मन की बात’ के माध्यम से एक बार फिर आपके बीच, अपने परिवारजनों के बीच आया हूं। एक बड़ी प्यारी सी उक्ति है- ‘इति विदा पुनर्मिलनाय’ इसका अर्थ भी उतना ही प्यारा है, मैं विदा लेता हूं, फिर मिलने के लिए। इसी भाव से मैंने फरवरी में आपसे कहा था कि चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा और आज, ‘मन की बात’ के साथ, मैं, आपके बीच फिर हाजिर हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 24 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ, जिसमें, 65 करोड़ लोगों ने वोट डाले हैं। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।
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‘एक पेड़ मां के नाम’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं आपसे पूछु कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे- ‘मां’। हम सबके जीवन में ‘मां’ का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां, हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर मां, अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है, जिसे कोई चुका नहीं सकता। उन्होंने कहा कि हम मां को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन, और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- ‘एक पेड़ मां के नाम’।
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साथ ही कहा कि मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है। मैंने सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी देशों के लोगों से ये अपील की है कि अपनी मां के साथ मिलकर, या उनके नाम पर, एक पेड़ जरूर लगाएं और मुझे ये देखकर बहुत खुशी है कि मां की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। हर कोई अपनी मां के लिए पेड़ लगा रहा है। चाहे वो अमीर हो या गरीब, चाहे वो कामकाजी महिला हो या गृहिणी। इस अभियान ने सबको मां के प्रति अपना स्नेह जताने का समान अवसर दिया है। वो अपनी तस्वीरों को हैशटैग एक_पेड़_मां_के_नाम इसके साथ साझा करके दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं।
केरल का खास छाते…
देश के अलग-अलग हिस्सों में मानसून तेजी से अपने रंग बिखेर रहा है। हर घर में छाते की खोज शुरू हो गई है। मैं आपको खास छातों के बारे में बताना चाहता हूं, इसे केरल में तैयार किया जाता है। यहां कई परंपरा और विधि-विधान का छाता अहम हिस्सा है। कारतूंभी छाता को केरल के अट्टापड़ी में तैयार किया जा रहा है। यह रंग-बिरंगे छाते बहुत शानदार होते हैं। इसे आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। देशभर में इसकी मांग बढ़ रही है। इसकी ऑनलाइन बिक्री हो रही है।