आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अमेरिका में आरक्षण को लेकर बयान दिया। जिसपर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस और राहुल गांधी को एक बार फिर निशाने पर लिया है। बसपा मुखिया ने कहा कि आरक्षण को लेकर राहुल का बयान छलावा है, क्योंकि सत्ता में रहने पर कांग्रेस इसका विरोध करती है और सत्ता में न रहने पर एससी एसटी और ओबीसी वर्ग के हित व कल्याण की बातें करती हैं
बसपा मुखिया ने बुधवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अब यह सफाई कि वे आरक्षण के विरुद्ध नहीं हैं स्पष्टतः गुमराह करने वाली गलतबयानी है। केंद्र में भाजपा से पहले इनकी दस साल रही सरकार में उनकी सक्रियता में इन्होंने सपा के साथ मिलकर एससी-एसटी का पदोन्नति में आरक्षण बिल पास नहीं होने दिया इसका यह प्रमाण है।
साथ ही कहा कि इनके द्वारा देश में आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाने की बात भी छलावा, क्योंकि इस मामले में अगर इनकी नीयत साफ होती तो कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों में यह कार्य जरूर कर लिया गया होता। कांग्रेस ने न तो ओबीसी आरक्षण लागू किया और न ही एससी/एसटी आरक्षण को सही से लागू किया।
इससे स्पष्ट है कि जब कांग्रेस सत्ता में नहीं होती है तो इन उपेक्षित एससी/एसटी/ओबीसी वर्गों के वोट के स्वार्थ की खातिर इनके हित व कल्याण की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जब सत्ता में रहती है तो इनके हित के विरुद्ध लगातार कार्य करती है। ये लोग इनके इस षडयंत्र से सजग रहें।
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बता दें कि अपने आरक्षण वाले बयान पर विवाद होने के बाद राहुल गांधी ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया है। वे खुद आरक्षण के समर्थक हैं और चाहते हैं कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाई जाए। वे सबकी भागीदारी के लिए राजनीति कर रहे हैं। वर्जीनिया विश्वविद्यालय के एक छात्र ने राहुल गांधी से पूछा था कि भारत में कब तक आरक्षण चलता रहेगा और आपकी राय क्या है। इस पर उन्होंने कहा था कि जब सही समय आएगा, तब आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा, लेकिन अभी समय नहीं है।