आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई ने एक अगस्त को कहा था कि राज्यों को एससी-एसटी के बीच ‘क्रीमी लेयर’ की पहचान करने के लिए एक नीति बनानी चाहिए और उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित करना चाहिए। इस पर यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने शनिवार को केंद्र सरकार से मांग कर कहा कि सरकार आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने और उपवर्गीकरण को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संसद में कानून लाकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति और जनजाति से जुड़े इस बेहद महत्वपूर्ण मामले पर मजबूती से पैरवी की होती तो इस तरह का निर्णय न होता।
बसपा सुप्रीमो ने शनिवार को एक प्रेसवार्ता में कहा कि बेशक प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है, लेकिन खाली आश्वासन से काम नहीं चलेगा। इस दौराान मायावती ने जातीय जनगणना का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि जातीय जनगणना कराए। बसपा पहले से इसके पक्ष में रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा-कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पहले से ही एससी-एसटी वर्गों के आरक्षण के खिलाफ रही हैं।
इन जगहों पर मिल सके हिस्सेदारी
मायावती ने मांग की है कि अब समय की जरूरत है कि हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के पदों में भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए जिससे कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को इन जगहों पर हिस्सेदारी मिल सके। उन्होंने भाजपा पर सरकारी नौकरियों को खत्म कर आरक्षण को कमजोर करने का आरोप लगाया है। साथ ही कहा कि एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती न करके भाजपा ने कांग्रेस व सपा की तरह ही इन वर्गों का नुकसान किया है।
दलों की ‘दोहरी नीति’ से सावधान
वहीं बसपा मुखिया ने एससी और एसटी समुदाय के लोगों से आग्रह करते हुए कहा, ‘‘जिन दलों ने संविधान और आरक्षण बचाने के नाम पर 18वीं लोकसभा के चुनाव में इन समुदायों के वोट बटोरे और सबसे ज्यादा सीट हासिल कीं, तथा उनकी (एससी और एसटी) हितैषी एकमात्र पार्टी बसपा को नुकसान पहुंचाया।’’
सभी पार्टी अपना रुख करें स्पष्ट
यूपी की पूर्व सीएम ने कांग्रेस व सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सभी दलों से अनुरोध करती हूं कि वे देश के करोड़ों एससी-एसटी के सामने फैसले के बारे में अपना रुख स्पष्ट करें, ताकि इन वर्गों के सामने सही स्थिति सामने आ सके।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा, ‘‘वे चुनाव के दौरान संविधान और आरक्षण बचाने की बड़ी-बड़ी बातें करते थे। अब वे संविधान की प्रति किसी को नहीं दिखा रहे हैं। अब कांग्रेस एंड कंपनी आरक्षण की बात नहीं कर रही है।’’
आरक्षण जो ‘निष्प्रभावी’ हो गया है, उसे प्रभावी…
मायावती ने आगे कहा कि ‘‘मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहती हूं कि अगर इन वर्गों को लेकर आपकी नीयत साफ है, तो आपने अन्य मुद्दों पर समय से पहले सदन बुलाया था। आप कभी भी सदन बुला सकते हैं, इसके लिए तैयारी करें। उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त के फैसले को निरस्त करें। सदन बुलाएं, सदन में सभी दलों का रुख पता चल जाएगा।’’ ‘‘आरक्षण जो ‘निष्प्रभावी’ हो गया है, उसे प्रभावी बनाने के लिए संसद सत्र को जल्द ही अल्प सूचना पर बुलाया जाना चाहिए।
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गौरतलब है कि केंद्र की एनडीए सरकार ने कहा है कि आरक्षण में क्रीमी लेयर का फैसला लागू नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित एससी-एसटी वर्ग के सांसदों ने शुक्रवार को कैबिनेट बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री ने सांसदों को भी आश्वासन दिया था कि आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा। सांसदों ने कोटा के अंदर कोटा वाले फैसले को भी लागू न करने की मांग की थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने इस बारे में विचार करने का आश्वासन दिया था।