आरयू वेब टीम। मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सीबीआइ ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में क्लीन चिट दी है। सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि सात अगस्त 2013 को जांच बंद की जा चुकी है, क्योंकि शुरुआती जांच में किसी संज्ञेय अपराध की पुष्टि नहीं हुई थी।
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कोर्ट से मांग की थी कि वो सीबीआइ को इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दे। इस मामले में 2007 में जांच का आदेश आया था। 2008 में सीबीआइ ने केस दर्ज होने लायक सबूत मिलने की बात कही थी।
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इसी साल 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सीबीआइ से मुलायम सिंह यादव व उनके पुत्र अखिलेश तथा प्रतीक यादव के खिलाफ हुई जांच की रिपोर्ट पेश करने की मांग पर जवाब मांगा था।
मुलायम सिंह ने अर्जी का विरोध करते हुए हलफनामे में कहा है कि वह और उनका परिवार सार्वजनिक जीवन में और राजनीति में है। वह स्वयं और परिवार के अन्य सदस्य केंद्र व राज्य में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। अर्जीकर्ता स्वयं भी राजनैतिक व्यक्ति है और चुनाव लड़ चुका है। उसने 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले यह अर्जी गलत मंशा से उनकी छवि खराब के लिए दाखिल की है।
मुलायम सिंह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का मुख्य आदेश उनके और उनके परिवार पर लगाए गए आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोपों की प्रारंभिक जांच का था और उस आदेश पर सीबीआइ ने पीई दर्ज करके प्रारंभिक जांच की जिसमें सीबीआइ को उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला।
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साथ ही सपा संस्थापक ने ये भी कहा था कि पीई दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने पहली स्टेटस रिपोर्ट 30 जुलाई 2007 को दी थी, जिसमें कहा गया था कि मुलायम सिंह के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। इसके बाद शिकायतकर्ता की ओर से लगाए गए अतिरिक्त आरोपों पर सीबीआइ ने 28 अगस्त 2007 को दूसरी स्थिति रिपोर्ट दी। जिसमें फिर कहा कि प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता।
इसके बाद 26 अक्टूबर 2007 को सीबीआइ ने तीसरी रिपोर्ट दाखिल की उस रिपोर्ट में सीबीआइ ने बिना किसी कानूनी आधार के जांची गई, अवधि का प्रोजेक्ट एक्सपेन्डिचर 21541523 से बढ़ा कर 44562436 कर दिया।
रिपोर्ट में सीबीआइ ने कहा कि उनके खिलाफ 26306498 की आय से अधिक संपत्ति है। सिंह का कहना था कि चतुर्वेदी ने अपनी अर्जी मे सिर्फ सीबीआई की 26 अक्टूबर 2007 की स्थिति रिपोर्ट को आधार बनाया है और वही रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है। उन्होंने पहले की दो रिपोर्ट नहीं दी हैं। कोर्ट से तथ्य छिपाए हैं। मुलायम सिंह का कहना था कि तीन रिपोर्ट में अंतर होने के कारण सीबीआइ अधिकारी ने एक एनालेसिस रिपोर्ट दी थी जिसमें फिर कहा गया कि आय से अधिक संपत्ति का मामला नहीं बनता।
बता दें कि सीबीआइ ने समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव उनके पुत्र अखिलेश यादव व प्रतीक यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले मे सुप्रीम कोर्ट में कह चुकी थी कि प्रारंभिक जांच 2013 मे पूरी कर ली गई थी सीबीआइ से चार हफ्ते में कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था।