आरयू ब्यूरो, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) की पहली महिला कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून की नियुक्ति के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए उनकी नियुक्ति को वैध ठहराया है। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से एएमयू अधिनियम, विनियमों और प्रावधानों के अनुसार हुई है।
कोर्ट ने कहा कि प्रो. खातून के पति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने कार्यवाहक कुलपति के रूप में कुछ बैठकों में औपचारिक रूप से अध्यक्षता की थी, लेकिन इसका चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। साथ ही, अंतिम निर्णय भारत के राष्ट्रपति द्वारा लिया गया था, जो विश्वविद्यालय के विज़िटर भी होते हैं, और उनके विवेकाधिकार पर पक्षपात का कोई प्रमाण नहीं है। अदालत ने माना कि प्रो. नईमा खातून की योग्यता और पात्रता पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। कोर्ट ने उनके चयन को चुनौती देने के किसी भी आधार को खारिज कर दिया।
वहीं कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. नईमा खातून ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर पूरा विश्वास था। ये फैसला न केवल व्यक्तिगत न्याय की जीत है, बल्कि उच्च शिक्षा संस्थानों की संस्थागत प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि भी करता है। उन्होंने विश्वविद्यालय की सेवा में निष्ठा, पारदर्शिता और समावेशी शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति अपने संकल्प को दोहराया।
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