पनामागेट में नवाज शरीफ दोषी, सुप्रीम कोर्ट ने माना पीएम पद के लिए अयोग्य

पनामागेट
नवाज शरीफ। फाइल फोटो

आरयू इंटरनेश्‍नल डेस्‍क।

पाकिस्‍तान में आज भ्रष्‍टचार को लेकर वहां की सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। उच्‍चतम न्‍यायलय ने पनामागेट मामले का बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को दोषी करार दिया है। इसके साथ ही उसने उन्‍हें प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य करार दिया हैं।

पाकिस्‍तान में उथल-पुथल मचाने वाले सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले के बाद नवाज शरीफ को नियमों के मुताबिक ना सिर्फ पाक के प्रधानमंत्री की कुर्सी बल्कि अपनी पार्टी पीएमएल-एन के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा देना होगा। पांच जजों की पीठ ने एक राय से शरीफ को दोषी पाया है।

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बता दें कि यह मामला 1990 के दशक में उस वक्त धनशोधन के जरिए लंदन में सपंत्तियां खरीदने से जुड़ा है जब शरीफ दो बार प्रधानमंत्री बने थे। शरीफ के परिवार की लंदन में इन संपत्तियों का खुलासा पिछले साल पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ।

इन संपत्तियों के पीछे विदेश में बनाई गई कंपनियों का धन लगा हुआ है और इन कंपनियों का स्वामित्व शरीफ की संतानों के पास है। इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं। पाकिस्तान में रिकॉर्ड तीन बार प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने वाले शरीफ को भ्रष्टाचार एवं धनशोधन के मामले में दोषी ठहराया गया है। वह पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का पूरी उत्सुकता के साथ इंतजार किया जा रहा था क्योंकि शरीफ के पिछले दो कार्यकाल तीसरे साल में खत्म हो गए थे। इस्पात कारोबारी-सह-राजनीतिज्ञ शरीफ पहली बार 1990 से 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे। उनका दूसरा कार्यकाल 1997 में शुरू हुआ जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद खत्म हो गया।

सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए इसी साल मई में संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया था। जेआईटी ने गत 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी। जेआईटी ने कहा कि शरीफ और उनकी संतानों की जीवनशैली उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज्यादा विस्तृत थी और उसने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी।

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शरीफ ने जेआईटी की रिपोर्ट को खारिज करते हुए इसे ‘बेबुनियाद आरोपों का पुलिंदा’ करार दिया था और पद छोड़ने से इनकार किया था। बीते 21 जुलाई को शीर्ष अदालत ने सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले के मद्देनजर इस्लामाबाद पुलिस ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं और राजधानी के मध्य ‘रेड जोन’ इलाके को आम लोगों के लिए बंद कर दिया है।