आरयू वेब टीम। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) पैनल ने सिफारिश की है कि भारत के ‘शास्त्रीय काल’ के तहत इतिहास के कोर्स के हिस्से के रूप में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए। समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सी आई इस्साक ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि पैनल ने ये भी सिफारिश की है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना को सभी कक्षाओं की दीवारों पर स्थानीय भाषाओं में लिखा जाना चाहिए।
इस संबंध में स्कूलों के लिए सोशल साइंस कोर्स को रिवाइज करने के लिए गठित एनसीईआरटी की सोशल साइंस समिति ने पाठ्यपुस्तकों में भारतीय ज्ञान प्रणाली, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने सहित कई प्रस्ताव दिए हैं। सुझाव सोशल साइंस पर अंतिम स्थिति पेपर का हिस्सा रहे हैं, जो एक प्रमुख दस्तावेज है जो इस विषय पर नई एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों के विकास में मदद करता है। प्रस्ताव को अभी एनसीईआरटी से अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है।
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पैनल ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पाठ्यपुस्तकों में केवल एक या दो के बजाय भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए। प्रोफेसर इसाक ने बताया कि पैनल ने सुझाव दिया है कि किताब में सुभाष चंद्र बोस जैसे महान क्रांतिकारियों के बारे में जानकारी हो।