आरयू वेब टीम।
नोटबंदी के बाद से लगातार लोगों की बढ़ती परेशानी को देखते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कई तीखे सवाल किये। समझा जा रहा है कि इन सवालों के जवाब देना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने मोदी सरकार से पूछा कि जब बैंकों से सप्ताह में 24 हजार रुपये निकालने की सीमा तय की गई है, तो इसके बाद भी लोग यह रकम क्यों नहीं निकाल पा रहे, अगर नकदी की कमी भी है तो उन्हें कम से कम दस हजार तो निकालने दिया जाये।
क्या हम बैंक से पैसा निकालने की न्यूतम राशि सीमा तय नहीं कर सकते जिसे कि बैंक भी निकालने से मना नहीं कर पायें और वह कैश समाप्ति का बहाना भी न बना सके। इस तरह के कुल नौ सवाल आज सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से किये।
मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर (बुधवार) को होगी। उच्चतम न्यायलय ने यह भी कहा कि इस मामले को पांच जजों की बेंच को भी ट्रांसफर किया जा सकता है।
यह है वह सवाल जिन पर होगी अगली सुनवाई-
⇒ नोटबंदी का 8 नवंबर को लिया गया फैसला और उसके बाद के नोटिफिकेशन असंवैधानिक हैं।
⇒ नोटबैन का फैसला आरबीआई एक्ट 26(2) का उल्लंघन है? इसके अनुसार केंद्रीय बोर्ड की मंजूरी से इस तरह का फैसला लिया जा सकता है और किसी सीरीज के नोटों को बंद किया जा सकता है।
⇒ क्या बैंक और एटीएम से पैसा निकालने की लिमिट तय करना लोगों के अधिकारों का हनन है।
⇒ नोटबंदी, भारतीय संविधान के समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और व्यापार करने की आजादी से संबंधित(अनुच्छेद 19) मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।
⇒ नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के लागू किया गया है, जबकि ना तो नई करेंसी का सही इंतजाम था और ना ही देश भर में कैश पहुंचाने का।
⇒ क्या जिला सहकारी बैंक में पुराने नोट जमा करने और नए रुपये निकालने पर रोक सही नहीं है।
⇒ धन निकालने की न्यूनतम सीमा निर्धारित की गई है, तो उसके बाद भी लोग यह धन क्यों नहीं निकाल पा रहे हैं।
⇒ नोटबंदी का फैसला बनाते समय गुप्त था, लेकिन क्या अब आप बता सकते हैं कि इसमें कितना वक्त लगेगा?
⇒ क्या धारा 26 (2) के तहत सरकार ने शक्तियों का अत्याधिक इस्तेमाल कर लिया है।