आरयू वेब टीम। अनुच्छेद-370 के हटने के बाद, उमर अब्दुल्ला ने आज केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने उमर अब्दुल्ला को सीएम और सुरिंदर चौधरी ने डिप्टी सीएम के साथ ही मंत्रियों को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
उमर अब्दुल्ला के साथ मंत्री के रूप में सतीश शर्मा, सकीना इटू, सुरिंदर चौधरी, जावेद राणा और जावेद डार ने भी शपथ ली। उमर अब्दुल्ला, जो नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष हैं, केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने हैं और जम्मू-कश्मीर में यह उनका दूसरा कार्यकाल है। इस अवसर पर इंडिया गठबंधन ने शक्ति प्रदर्शन किया। समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी के शरद गुट की सुप्रिया सुले, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, सीपीआइ के डी राजा समेत अन्य नेता मौजूद रहे।
शपथ ग्रहण से पहले, उमर अब्दुल्ला ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक, शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के स्मारक पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 54 वर्षीय अब्दुल्ला ने पठानी सूट और कोट पहने हुए स्मारक पर फूल चढ़ाए। नेकां ने बताया कि “जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से पहले उमर अब्दुल्ला ने हजरतबल में अपने दादा के स्मारक पर दुआ मांगी।”
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वहीं, शपथ ग्रहण से पहले नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के बीच मतभेद की खबरे हैं। कांग्रेस ने उमर अब्दुल्ला की सरकार में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है और अब वह सरकार को बाहर से समर्थन देगी। यह सवाल उठता है कि कांग्रेस उमर सरकार में शामिल क्यों नहीं हो रही है और यदि वह नाराज है, तो इसकी वजह क्या है। दरअसल नेशनल कांफ्रेंस ने कांग्रेस को एक मंत्री पद देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कांग्रेस ने इसे स्वीकार नहीं किया। कांग्रेस दो मंत्री पद की मांग कर रही थी, लेकिन जब उमर अब्दुल्ला ने इसे ठुकरा दिया, तो कांग्रेस ने सरकार में शामिल होने से मना कर दिया।