इतिहासकार पद्मश्री योगेश प्रवीन का निधन, समय से नहीं मिली एंबुलेंस

इतिहासकार योगेश प्रवीन
इतिहासकार योगेश प्रवीन। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ के जाने-माने इतिहासकार पद्मश्री डॉ. योगेश परवीन का सोमवार को लखनऊ में निधन हो गया। आज दिन में अचानक उनकी तबीयत खराब होने पर परिजनों उनको लेकर बलरामपुर अस्पताल जा रहे थे। रास्ते में उनका निधन हो गया।

जानकारी के अनुसार उनकी तबीयत खराब होने पर एंबुलेंस के लिए 108 को सूचना दी गई। कई घंटे बीतने के बाद भी एंबुलेंस नहीं आई, जिसके बाद निजी वाहन से उन्हें ले जाना पड़ा। हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचने के बाद जांच के बाद डॉक्‍टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

इस मामले में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। समझा जा रहा है कि समय से अगर एंबुलेंस मिल गयी होती तो पदमश्री योगेश प्रवीन की जान बचाई जा सकती थी।

इतिहासकार योगेश प्रवीन लखनऊ के इतिहास को जानने-समझने का सबसे बड़ा माध्यम थे। बीते वर्ष पद्मश्री सम्मान मिलने पर उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा था कि पद्म पुरस्कार मिलना उनके लिये देर से ही सही मगर बहुत खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि अक्सर इंसान को सब कुछ समय पर नहीं मिलता। भावुक हुए इतिहासकार ने कहा था कि अब सुकून से अगली यात्रा पर चल सकूंगा।

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लखनऊ और अवध पर अब तक ढेरों किताबें लिख चुके योगेश प्रवीन को पद्मश्री सम्मान मिलना लखनऊ के लिए गौरव था। वह कहते थे कि उनका कोई भी काम, शोध सिर्फ लखनऊ के लिए ही होता है। कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता समेत तमाम विधाओं में लिखने वाले डॉ. योगेश प्रवीन विद्यांत हिन्दू डिग्री कॉलेज से बतौर प्रवक्ता वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुए।

उन्होंने चार दशक से पुस्तक लेखन के अलावा अनेक समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेखन किया। अवध और लखनऊ का इतिहास खंगालती कई महत्वपूर्ण किताबों के लिए उन्हें कई पुरस्कार व सम्मान भी मिले। उनकी अब तक 30 से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अवध की संस्कृति और लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित हैं।

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