आरयू ब्यूरो,
लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज योगी सरकार पर बिगड़ी कानून-व्यवस्था को लेकर जमकर हमला बोलने के साथ ही कई सवाल भी उठाएं हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश की पुलिस बीजेपी के नेताओं को खुश करने में लगी है और प्रदेश की हालत बद से बदतर हो गए हैं प्रदेश में कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है।
योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए सपा मुखिया ने मेरठ में दिन दहाड़े मां-बेटे की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि कल यूपी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई। उपराष्ट्रपति की मौजूदगी में नया त्यौहार सरकार ने मनाया। बुधवार को उपराष्ट्रपति लखनऊ में थे, तब प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर एक तस्वीर सामने आई है जो योगी सरकार की कानून व्यवस्था को बयान करती है। राजधानी के सपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि योगी सरकार के कुछ महीनों के कार्यकाल में ऐसी भयावह और दर्दनाक घटनाएं हुई जो प्रदेश पहले कभी नही हुई थीं।
बीजेपी के कार्यकर्ता है प्रदर्शन करने वाले लोग
इतना ही नहीं उन्होंने देश भर में फिल्म विरोध के नाम पर हो रही हिंसा पर बीजेपी सरकार की नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि फिल्म पद्मावत के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले इन्हीं के लोग है, वो लोग बीजेपी के कार्यकर्ता है। बड़ी विडंबना है कि प्रदर्शन भी खुद करा रहे, लाठी भी खुद चला रहे है।
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कहीं अपराधियों को यूपी छोड़ के न जाने का संदेश तो नहीं दे रही सरकार
अखिलेश ने कहा कि प्रदेश सरकार की कथनी करनी में बहुत फर्क है। यह सरकार जो कहती है वो करती नहीं। वहीं योगी के अपराधियों के प्रदेश छोड़ के जाने वाले बयान पर व्यंग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कहीं अपराधियों को ये संदेश तो नहीं दे रही कि यूपी छोड़कर कहीं मत जाओ, यहीं रहो। राजधानी से लेकर यूपी के हर शहर में तमाम अपराधिक घटनाएं हो रही हैं, वहां पुलिस कामयाब नहीं हो पाती है, लेकिन अगर राजधानी में कोई किसान आलू फेंक जाता है तो समाजवादियों के 19 हजार फोन कॉल चेक किए जाते हैं।
वह इतने पर ही नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि फिरोजाबाद में तीन प्रदेश का माफिया कालिया किस बीजेपी नेता के साथ वहां जिम में एक्सरसाइज कर रहा है। सरकार को वो दिखाई नही देता, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सपा विधायक हरि ओम यादव ही नजर आते हैं। हमारा प्रतिनिधिमंडल कल राज्यपाल से कानून व्यवस्था के मुद्दे पर मिला था। अब समझ नहीं आ रहा है कि कौन-कौन सी संस्था के पास जाकर अपनी बात कहें।