आरयू वेब टीम। संसद के बजट सत्र का सोमवार को सातवां दिन है। राज्यसभा में कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने कहा कि 14 करोड़ लोग खाद्य सुरक्षा कानून से बाहर हैं। उन्हें इस कानून के दायरे में लाना चाहिए। सोनिया ने सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द जनगणना करवानी चाहिए। साथ ही कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीणों के साथ ही 50 प्रतिशत शहरी आबादी सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने की हकदार है। कांग्रेस नेता ने कहा कि, ‘‘खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं है, एक मौलिक अधिकार है।”
उन्होंने कहा कि लाभार्थियों के लिए कोटा अब भी 2011 की जनगणना के आधार पर निर्धारित किया जाता है, जो अब एक दशक से अधिक पुरानी है। ‘‘स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जनगणना में चार साल से अधिक की देरी हुई है। मूल रूप से यह 2021 के लिए निर्धारित थी, लेकिन अब भी इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि जनगणना कब आयोजित की जाएगी।” आगे कहा कि बजट आवंटन से पता चला है कि जनगणना इस वर्ष भी कराए जाने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार लगभग 14 करोड़ पात्र भारतीयों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत उनके उचित लाभों से वंचित किया जा रहा है। यह जरूरी है कि सरकार जल्द से जल्द जनगणना कराने को प्राथमिकता दे और यह सुनिश्चित करे कि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ प्राप्त हों।” साथ ही कहा, ‘‘खाद्य सुरक्षा कोई विशेषाधिकार नहीं है, एक मौलिक अधिकार है।”
यह भी पढ़ें- बजट पेशकर वित्त मंत्री की घोषणा, 12 लाख तक की इनकम पर नहीं देना होगा टैक्स
इतना ही नहीं आगे कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा पेश किया गया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एक ऐतिहासिक पहल थी, जिसका उद्देश्य 140 करोड़ आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना था। इस कानून ने लाखों कमजोर परिवारों को भुखमरी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर कोविड 19 महामारी के संकट के दौरान तथा इसी अधिनियम ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को आधार प्रदान किया। सोनिया गांधी की ओर से उठाए गए इस मुद्दे को कांग्रेस सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों का भी समर्थन मिला और उन्होंने इस मुद्दे से खुद को संबद्ध किया।