आरयू ब्यूरो, लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लखनऊ में ब्रह्मोस इंटीग्रेशन एवं टेस्टिंग फैसिलिटी सेंटर का उद्घाटन किया है। कार्यक्रम में सीएम योगी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टाइटेनियम एंड सुपर एलॉय मैटेरियल्स प्लांट का भी उद्घाटन किया। यह प्लांट एयरोस्पेस और डिफेंस सेक्टर के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्रियों का उत्पादन करेगा। इनका उपयोग चंद्रयान मिशन और लड़ाकू विमानों में किया जाएगा। साथ ही ब्रह्मोस एयरोस्पेस की इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी परियोजना का भी लोकार्पण किया।
कार्यक्रम को संबोधित कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘जिस परिस्थिति से हम गुजर रहे हैं इसलिए मैं लखनऊ नहीं आ पाया। आज का दिन बहुत खास है। आज ही 1998 में पोखरण में भारत ने अपनी ताकत दिखाई थी। चालीस महीने में ये प्रोजेक्ट पूरा हुआ। आजकल जो परिस्थितियां हैं, उसमें समयबद्ध काम की जरूरत है। जिन आतंकियों ने आतंकी हमला करके हमारी बहनों का सिंदूर मिटाया उसका जवाब आपरेशन सिंदूर ने दिया।’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य उत्तर प्रदेश को एक प्रमुख उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करना है। उन्होंने कहा कि एक समय कानपुर को ‘मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट’ कहा जाता था, और अब वह फिर से विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा। वहीं राजनाथ सिंह ने अब्दुल कलाम के कथन का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया ताकतवर का सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि लखनऊ को तकनीकी हब बनाने की दिशा में यह पहल एक बड़ा कदम है।
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साथ ही कहा, ‘हमने उनके नागरिकों को कभी निशाना नहीं बनाया। भारत में आतंकी घटनाओं का क्या अंजाम होता है, ये पूरी दुनिया देख रही है। ये नया भारत है जो आतंकवाद के खिलाफ सरहद के इस पार और उस पार कड़ी कार्रवाई करेगा। साथ ही कहा कि ये पीएम मोदी ने बता दिया है। जो भी भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देगा, सरहद पार की जमीन भी उसे बचा नहीं पाएगी। पूरी दुनिया ने देखा कि भारत आतंकवाद को किस तरह से चोट पहुंचाता है।’
साढ़े तीन सालों में पूरा हुआ निर्माण
दरअसल लखनऊ नोड पर स्थापित ब्रह्मोस प्रोडक्शन यूनिट 300 करोड़ रुपये से तैयार की गई है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने 80 हेक्टेयर जमीन निशुल्क उपलब्ध कराई थी। इसका निर्माण मात्र साढ़े तीन सालों में पूरा हुआ। ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त उद्यम का परिणाम है। इसकी मारक क्षमता 290-400 किलोमीटर और गति मैक 2.8 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) है। यह मिसाइल जमीन, हवा, और समुद्र से लॉन्च की जा सकती है। यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ सिद्धांत पर काम करती है। इससे यह दुश्मन के रडार से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है।
ब्रह्मोस टेस्टिंग फैसिलिटी
ब्रह्मोस टेस्टिंग फैसिलिटी से इस मिसाइल की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और प्रदर्शन को सुनिश्चित किया जाता है, जो इसके इंटीग्रेशन और टेस्टिंग में अहम भूमिका निभाती है। इस फैसिलिटी के जरिए मिसाइल को असेंबल करने के लिए विभिन्न घटकों और उनकी क्षमता का परीक्षण करने के लिए हाई क्वालिटी टेक्नालॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
इस सुविधा से भारत को स्वदेशी स्तर पर मिसाइलों के परीक्षण की क्षमता को मजबूती मिलेगी। इससे मिसाइलों की टेस्टिंग होगी, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और मार्केटिंग में सुधार होगा।
ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषताएं क्या हैं?
सतह से सतह की रेंज: 450-800 KM
हवा से सतह की रेंज: 450-500 KM
समंदर से सतह की रेंज: 500 KM