आरयू ब्यूरो, लखनऊ। रमजान के चांद का दीदार होने के बाद रविवार से पहला रोजा शुरू होगा। शनिवार को रमजान का चांद के दीदार करने के बाद लोगों ने दुआएं कीं और एक दूसरे को मुबारकबाद दी। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने घरों की छतों से चांद का दीदार किया। बच्चों व महिलाओं में चांद देखने के लिए खास उत्साह दिखा। इसी के साथ बाजारों में रौनक बढ़ गई। उलेमा द्वारा चांद दिखने की पुष्टि करते हुए मस्जिदों से रमजान की आमद का ऐलान कर दिया गया।
वहीं मस्जिदों में तरावीह की नमाज अदा की गई। एक माह तक चलने वाला रमजान तीन अशरों में बंटा होता है। उधर, बाजार में लोग रमजान की तैयारी में इबादत के लिए टोपियां, इत्र सहित अन्य समानों की खरीदारी करते दिखे। लखनऊ में ईदगाह इमाम मौलना खालिद रशीद, शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास इदारा ए शरइया फिरंगीमहल से मरकजी रूइयत ए हिलाल कमेटी फिरंगीमहल के अध्यक्ष मुफ्ती अबुल इरफान ने चांद का दीदार करने के बाद सभी शहरवासियों को रमजान की मुबारकबाद दी।
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इस दौरान मौलाना खालिद रशीद ने बताया कि रमजान में रोजा अहम इबादत है। रमजान अल्लाह का महीना है। इशा की नमाज के बाद 20 रकात तरावीह में कुरान का पूरे माह सुनना जरूरी है। रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इस्लाम धर्म में रोजा रखने के लिए सहरी खाना मसनून है और हदीस शरीफ में सहरी की बड़ी फजीलत आई है। पैगम्बर साहब का इरशाद है कि यहूद-नसारा और मुसलमानों में यही फर्क है कि वह सहरी नहीं खाते और मुसलमान खाते है। रोजे-सहरी के सदके में ही पूरे रमजान माह में अल्लाह की ओर से हर चीज मे बरकत पैदा कर दी जाती है।