आरयू ब्यूरो, लखनऊ। वाराणसी में लगभग 30 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के प्रभारियों द्वारा इस्तीफा देने के मामले ने अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। गुरुवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मुद्दे पर योगी सरकार को राय देते हुए कहा है कि सरकार बिना भेदभाव व पूरी सुविधा देकर उनसे सेवा ले तो बेहतर होगा।
इस मुद्दे पर आज मायावती ने ट्विट करते हुए कहा कि यूपी में समुचित सुविधा के अभाव में जान जोखिम में डालकर कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगे डाक्टरों पर सरकारी दबाव/धमकी से स्थिति बिगड़ रही है, जिसके कारण ही वाराणसी में 32 स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों ने इस्तीफा दिया। सरकार बिना भेदभाव व पूरी सुविधा देकर उनसे सेवा ले तो बेहतर होगा।
मायावती ने अपने अगले ट्विट में योगी सरकार की बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि साथ ही कोरोना केंद्रों व निजी अस्पतालों में भी कोरोना स्वास्थ्यकर्मियों की स्थिति काफी खराब है, जिस कारण उन्हें आत्महत्या का प्रयास करने तक को मजबूर होना पड रहा है, जो अति दुखद है। सरकार व्यावहारिक नीति बनाकर व समुचित संसाधन देकर सही से उसपर अमल करे, बीएसपी की यह मांग है।
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इसके अलावा मायावती ने यूपी की कानून-व्यवस्था पर भी आज सवाल उठाया है। उन्होंने एक अन्य ट्विट में कहा कि यूपी में अब कानून-व्यवस्था दम तोड़ रही है। कल अलीगढ़ में स्थानीय भाजपा विधायक व पुलिस द्वारा एक-दूसरे पर लगाया गया आरोप व मारपीट अति-गंभीर व काफी चिंताजनक। इस प्रकरण की न्यायोचित जांच होनी चाहिए व जो भी दोषी हैं उनके विरूद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, बीएसपी की यह मांग है।
सपा व बीजेपी की सरकार में भला फिर क्या अंतर रह गया
वहीं मायावती आज भाजपा के साथ ही सपा को भी घेरते इस मामले में कहा कि यूपी में इस प्रकार की लगातार हो रही जंगलराज जैसी घटनाओं से यह स्पष्ट है कि खासकर अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था के मामले में सपा व बीजेपी की सरकार में भला फिर क्या अंतर रह गया है? सरकार इसपर समुचित ध्यान दे, बीएसपी की जनहित में यही सलाह।