आरयू ब्यूरो, रामपुर/लखनऊ। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण के मामले में सपा के कद्दावर नेता आजम खान को आज एमपी एमएलए की कोर्ट ने करारा झटका दिया है। कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही छह हजार का जुर्माना भी लगाया है, हालांकि मामले में अधिकतम सजा सुनाने के बाद आज आजम खान को जमानत भी मिल गयी, हालांकि इस सजा के साथ ही आजम खान की विधायकी भी खतरे में पड़ गयी है।
बताते चलें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खान रामपुर संसदीय सीट से सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी थे। अपने चुनाव प्रचार के दौरान मिलक कोतवाली क्षेत्र के खातानगरिया गांव में उन्होंने जनसभा संबोधित किया था।
आरोप था कि आजम खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह को लेकर भड़काऊ भाषण दिया था। आजम के भाषण का वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले में वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से मामले की रिपोर्ट मिलक कोतवाली में दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने विवेचना करते हुए चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए (मजिस्ट्रेट ट्रायल) निशांत मान की कोर्ट में चली।
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इसी मामले में आजम खान आज दोपहर लगभग दो बजे कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने उनको आइपीसी धारा 153-ए, 505-ए और 125 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में दोषी करार दिया। जिसके बाद उन्हें कोर्ट की कस्टडी में ले लिया गया। शाम लगभग साढ़े चार बजे कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया, जिसमें उनको तीन साल की कैद और छह हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई। बाद में उन्हें जमानत दे दी गयी।
वहीं जमानत मिलने के बाद आजम खान मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये अधिकतम सजा थी जिसमें जमानत अनिवार्य प्रावधान है, जिसके आधार पर जमानत मिली है, लेकिन मैं इंसाफ का कायल हो गया।
सत्ता पक्ष के नफरती भाषण में क्यों नहीं दाखिल हुई चार्जशीट: सपा
वहीं सपा के प्रवक्ता फखरुल हसन ने आजम खान को सजा सुनाने जाने के बाद कहा कि हम इस फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन सत्ता पक्ष से जुड़े हुए लोगों ने जो नफरती भाषण दिए उनपर जो मुक़दमा हुआ उन पर चार्जशीट क्यों नहीं दाख़िल की गई?
आजम खान के वकील विनोद यादव ने कहा कि हमने अभी फैसला पढ़ा नहीं है, न हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। जमानत मिल गई है। अपील फाइल करने के लिए एक सप्ताह का समय भी मिला है।
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इससे पहले आजम खान ने फैसले की तारीख टालने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। उनकी ओर से कहा गया था कि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए फैसले की तारीख को आगे बढ़ाया जाए। कोर्ट ने उनकी दलील खारिज करते कर दी थी।