आरयू वेब टीम।
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को रोस्टर के मास्टर मामले में चल रहे विवाद को समाप्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआइ) ही ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ हैं और इसमें कोई विवाद नहीं है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि सीजेआइ बराबर में सबसे पहले हैं।
याचिका में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने मांग की थी कि पांच वरिष्ठतम जज मिलकर मुकदमों का आवंटन करें। हालांकि एटॉर्नी जनरल ने मांग को अव्यवहारिक बताया था। मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश को सर्वोच्च बताते हुए कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि न्यायाधीशों में वरिष्ठतम होने की वजह से उन्हें कुछ विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
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अलग-अलग समेकित फैसले में दो जजों (न्यायमूर्ति एके सीकरी, न्यायमूर्ति अशोक भूषण) की खंडपीठ ने कहा कि सीजेआई को मामलों को आवंटित करने और उसे बेंच नामित करने का विशेषाधिकार है। न्यायमूर्ति एके सीकरी का कहना है कि सीजेआइ, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश हैं, न्यायपालिका के प्रवक्ता और नेता हैं।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई भी प्रणाली अपने आप में पूर्ण नहीं है और हमेशा न्यायपालिका के कामकाज में सुधार के लिए गुंजाइश है। इसमें सिर्फ प्रशासनिक स्तर ही नहीं न्यायिक स्तर पर भी सुधार के लिए काम किए जा रहे हैं।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में केसों के बटवारे सहित सीजेआइ के कामकाज के तौर-तरीकों को लेकर लंबा विवाद चला था। इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठ जज मीडिया के जरिए जनता के सामने चले गए थे। इस विवाद के बाद शांति भूषण ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में केसों का आवंटन चीफ जस्टिस अकेले नहीं बल्कि कॉलेजियम में शामिल सभी पांच जज करें। इससे पहले इसी तरह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज भी कर चुका है।
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