आरयू वेब टीम। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन हो गया। स्वरूपानंद सरस्वती दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे। अंतिम समय में शंकराचार्य के अनुयायी और शिष्य उनके समीप थे। उनके निधन की सूचना के बाद आस-पास के क्षेत्रों से भक्तों की भीड़ आश्रम की ओर पहुंचने लगी।
मिली जानकारी के अनुसार स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने परमहंसी गंगा आश्रम, झोतेश्वर जिला नरसिंहपुर में आज दोपहर 3.30 बजे अंतिम सांस ली। बताया गया कि वह लंबे समय बीमार चल रहे थे। उनका पार्थिव शरीर पालकी में रखकर आज शाम को ही झोतेश्वर धाम में दर्शनार्थ रखा जाएगा।
अनुयायी कल यानी सोमवार को भी उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। बताया गया है कि उनका अंतिम संस्कार सोमवार को ही किए जाने की संभावना है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के भक्त देश विदेश में फैले हुए हैं।
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उनका जन्म राज्य के महाकौशल अंचल के ही सिवनी जिले के दिघौरी में 1924 में हुआ था। वह आजादी की लड़ाई में भाग लेकर जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। इस दौरान वो उत्तर प्रदेश के काशी भी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।
साल 1942 के इस दौर में वो महज 19 साल की उम्र में क्रांतिकारी साधु के रुप में प्रसिद्ध हुए थे क्योंकि उस समय देश में अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई चल रही थी।