रेप के मामले में सजा काट रहे आसाराम की सहयोगी शिल्पी को हाईकोर्ट ने दिया रिहा करने का आदेश

आसाराम की सहयोगी शिल्पी
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। 

नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में सजा कराट रहे आसाराम की मामले में सह अभियुक्त शिल्पी उर्फ संचिता को शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। न्यायाधीश विजय विश्‍नोई की अदालत ने सुनवाई कर शिल्पी की सजा स्थगित करते हुए उसे जमानत दी है। शिल्‍पी आसाराम के छिंदवाड़ा आश्रम में वार्डन होने के साथ ही वह आसाराम की नजदीकी सहयोगी थी।

शिल्पी की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में अपील के बाद सजा स्थगन याचिका यानि एसओएस पेश की गई थी। इस पर बुधवार को ही जस्टिस विश्‍नोई ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था। अदालत में सुनवाई के दौरान शिल्पी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि वह जमानत पर रही व जमानत के नियमों को नही तोड़ा। ऐसे में एसओएस यानी की सस्पेंसन ऑफ सेंटस का लाभ दिया जाना चाहिए।

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आसाराम मामले की सह अभियुक्त छिंदवाड़ा आश्रम की हॉस्टल वार्डन शिल्पी को एससी-एसटी कोर्ट के पीठासीन अधिकारी मधुसूदन शर्मा ने इसी वर्ष 25 अप्रेल को 20 साल की कैद की सजा सुनाई थी। वहीं पीडि़ता ने शिल्‍पी पर बलात्‍कार की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था।

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सजा के खिलाफ अपील दायर करने के बाद शिल्पी की ओर से सजा स्थगित कर जमानत पर रिहा करने बाबत हाईकोर्ट में ‘एसओएस’ अर्थात सस्पेंसन ऑफ सेंटेंस की याचिका दायर की गई थी। इस पर अंतिम सुनवाई बुधवार को पूरी हुई थी। शिल्पी की ओर से अधिवक्ता महेश बोडा ने पक्ष रखा, जबकि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से विक्रमसिंह राजपुरोहित ने इसका पुरजोर विरोध किया था। शिल्पी को जमानत मिलने के बाद अब आसाराम को भी जमानत की आस बंधी है। आसाराम की याचिका पर सुनवाई अभी होना बाकी है।

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