आरयू ब्यूरो, लखनऊ। चार बेगुनाहों की जान लेने वाले होटल लिवाना अग्निकांड के बाद जानलेवा अवैध निर्माण कराने व बचाने वाले एलडीए के अफसर व इंजीनियरों का खेल एक बार फिर उजागर हो गया। वहीं इस कांड के बाद अधिकारी व इंजीनियरों पर वसूली के लिए अवैध निर्माण को बढ़ावा देने का आरोप लगाना एलडीए कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह को महंगा पड़ा है।
एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने कर्मचारी नेता के बयान को एलडीए की छवि खराब करने वाला मानते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है। साथ ही मामले में जांच के आदेश भी दिए हैं। निलंबन का आदेश आज सामने आने पर कर्मचारियों में नाराजगी है।
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वहीं वीसी ने कहा है कि अनर्गल बयानबाजी की बात सामने आने पर कमेटी गठित कर जांच कराई गयी थी। जिसकी रिपोर्ट में अवर वर्ग सहायक शिव प्रताप सिंह को दोषी पाया गया है। पूर्व में भी इन्होंने प्राधिकरण हित के खिलाफ बयान दिए हैं, जिसकी जांच चल रही है। साथ ही यूपी सतर्कता अधिष्ठान भी एसपी सिंह की परिसंपत्तियों की खुली जांच कर रहा है।
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बयान से धूमिल हुई प्राधिकरण व अफसरों की छवि
उपाध्यक्ष ने अपने आदेश में आगे कहा है कि इससे यह साफ है कि एसपी सिंह प्राधिकरण हितों के प्रतिकूल काम करने व बयान देने के आदी है, जबकि यह किसी भी तरह के बयान देने के लिए अधिकृत नहीं थे। शिव प्रताप सिंह के बयान से प्राधिकरण व उसके अधिकारियों की छवि धूमिल हुई है, जो कर्मचारी आचरण नियमावली के नियम-छह, सात (1) व नियम नौ का उल्लंघन है। इसलिए एसपी सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।
तहसीलदार करेंगे जांच
वीसी ने एसपी सिंह को निलंबित करते हुए विधि अनुभाग से संबंद्ध कर दिया है। साथ ही इस मामले की आगे की जांच के लिए तहसीलदार विवेक शुक्ला को जांच के आदेश दिए हैं। विवेक शुक्ला एक महीने में जांच पूरी कर उपाध्यक्ष को रिपोर्ट सौपेंगे।
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उपाध्यक्ष से मिले कर्मचारी संघ के नेता
वहीं आज शिव प्रताप सिंह के निलंबन पर कर्मचारियों में वीसी के फैसले के प्रति नाराजगी रही। हालांकि इसका किसी ने खुलकर विरोध नहीं किया है। वहीं कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने आज उपाध्यक्ष से मुलाकात इस बात को साफ करना चाहा कि कर्मचारी नेता का मकसद एलडीए की छवि बिगाड़ने का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार कर एलडीए की छवि को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की बात की थी। साथ ही कर्मचारी नेताओं ने वीसी से एक बार फिर निलंबन के फैसले पर विचार करने का अनुरोध किया।
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उपाध्यक्ष से मुलाकात करने वालों में यूपी विकास प्राधिकारण संयुक्त संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष अवधेश सिंह, एलडीए कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एसपी सिंह, महामंत्री दिनेश शुक्ला, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र यादव, संगठन हरीश तिवारी व ओपी अवस्थी प्रमुख रुप से शामिल थे।
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उल्लेखनीय है कि लिवाना कांड में 19 अफसर, इंजीनियर व कर्मी पर गाज गिरने से पहले नौ सितंबर को एक न्यूज चैनल से कैमरे के सामने बात करते हुए पूर्व में हुए अग्निकांड में भी कार्रवाई नहीं होने के सवाल पर एसपी सिंह ने एलडीए के अफसर व प्रवर्तन के इंजीनियरों पर अवैध निर्माण के एवज में वसूली का आरोप लगाया था। साथ ही एसपी सिंह ने जोनल व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए विहित प्राधिकारी पर भी मिलीभगत का आरोप लगा वसूली के लिए शहरभर में अवैध निर्माण कराने की भी बात कही थी। कर्मचारी नेता का वीडियो वायरल होने के बाद प्रवर्तन से जुड़े एलडीए के कुछ अधिकारी व इंजीनियर खास नाराज थे।
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जोन के वर्तमान जेई-मेट पर ही कार्रवाई होने पर भी उठाएं थे सवाल
वहीं दस सितंबर को लिवाना अग्निकांड में प्रवर्तन जोन छह के वर्तमान जेई व मेट को निलंबन के बाद एसपी सिंह ने “राजधानी अपडेट” से भी बात करते हुए कार्रवाई पर सवाल उठाएं थे। कर्मचारी नेता ने कहा था कि सिर्फ तत्कालीन मेट व जेई को निलंबित करना न्याय संगत नहीं है। मेट के पास तो जेई को अवैध निर्माण के बारे में मौखिक जानकारी देने के अलावा उस पर कार्रवाई करने के लिए कोई अधिकार ही नहीं है। मुख्य बड़े दोषी अफसरों को बचाने के लिए जांच प्रभावित की गयी है। इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए, जिससे कि सभी असली दोषियों पर कार्रवाई हो सके।