सात बेकसूरों की जान लेने वाले अग्निकांड की जांच को अफसरों ने बनाया मजाक, दोषियों पर कार्रवाई के लिए 50 महीना पड़ा कम, मंशा-क्षमता पर उठें सवाल, LDA से फाइल भी गायब!

होटल अग्निकांड के दोषी
आग से जलते दोनों होटल। (फाइल फोटो)

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। चारबाग के दो अवैध होटलों में जिंदा जलकर जान गंवाने वाली सालभर की मासूम समेत सात बेगुनाहों को 50 महीने से ज्‍यादा का समय बीतने के बावजूद इंसाफ नहीं मिल सका है। भीषण अग्निकांड को लेकर सीएम योगी आदित्‍यनाथ के सख्‍त निर्देशों के बाद भी आवास एवं शहरी नियोजन व एलडीए के अफसरों ने जानलेवा भ्रष्‍टाचार व लापरवाही करने वाले किसी भी दोषी पर कार्रवाई करना तो दूर अब तक पूरे मामलों को ही लेटरबाजी में उलझा रखा है।

आवास विभाग जहां दोषी इंजीनियरों को आरोप पत्र भेजने की बात कह रहा है। वहीं सात लोगों की जान लेने व अन्‍य करीब आधा दर्जन बेगुनाहों को झुलसाकर जीवनभर के लिए अपाहिज बनाने वाले इस अग्निकांड की फाइल ही एलडीए में ढूंढे नहीं मिल रही।

शासन के निर्देश पर दूसरी बार आवास विकास परिषद के एफसी धर्मेंद्र वर्मा की जांच में दोषी मिले अपने कर्मियों पर कार्रवाई की जगह एलडीए के अफसर फाइल कहां हैं, इसको लेकर एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल रहें। नियमों के अनुसार जांच की फाइल अधिष्‍ठान में होनी चाहिए, जबकि अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा इसे वीसी के यहां होने की बात कह रहें, उपाध्‍यक्ष कार्यालय के अनुसार फाइल वहां भी नहीं है।

वहीं अधिष्‍ठान प्रभारी ओएसडी राजीव कुमार भी इस बारे में कुछ बताने में असमर्थता जता रहें हैं, जबकि धर्मेंद्र वर्मा का कहना है कि उन्‍होंने जांच पूरी कर कई महीना पहले ही रिपोर्ट भेज दी थी। दोषियों पर र्कारवाई विभाग की ओर से की जानी है। ऐसे में सवाल उठता है कि दोषियों को बचाने के लिए एलडीए का कौन सा अफसर भ्रष्‍टाचार पर सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति के खिलाफ उनके ही विभाग में काम कर रहा।

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दूसरी तरफ अधिकारियों की मेहरबानी, लापरवाही या फिर भ्रष्‍टाचार के चलते अग्निकांड में दोषी मिले तत्‍कालीन एक्‍सईएन अरुण कुमार सिंह, वकील अहमद, दुर्गेश श्रीवास्‍तव, एई ओपी गुप्‍ता व प्रमोद गुप्‍ता के अलावा जेई अनिल मिश्रा, जीडी सिंह व रविंद्र सिंह समेत अन्‍य कर्मी व इंजीनियर प्राधिकरण की सेवा से अवकाश प्राप्‍त कर अब तक घर जा चुके हैं, इतना ही नहीं एडीजी व एलडीए वीसी की जांच में दोषी पाए गए जेई धन्‍नी राम का इस बीच प्रामोशन भी हो गया और वह एई के रूप में रिटायर हुए, जबकि अफसरों की जांच में दोषी मिलें कुछ कर्मियों व इंजीनियरों की मौत भी हो चुकी है।

वहीं अग्निकांड के समय तैनात रहे प्रवर्तन जोन छह के प्रभारी अधिशासी अभियंता ओपी मिश्रा भी इसी महीने, जबकि कुछ अन्‍य दोषी अगले महीनों में रिटायर हो जाएंगे। ऐसे मे शासन इनपर बाद में चाहकर भी कड़ी कार्रवाई नहीं कर पाएगा। कहा जा रहा है ऐसे हालात तब हैं, जब खुद आवास विभाग की‍ डिमांड पर 21 इंजीनियरों के आरोप पत्र का प्रारूप दो महीना पहले एलडीए से बनाकर उसे भेजा जा चुका है। आरोप पत्र के अनुसार दोषी अभियंताओं को 15 दिन में जवाब देना है।

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चार साल से अधिक का समय बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं किए जाने से अब एलडीए के साथ ही आवास एवं शहरी नियोजन के अफसरों की मंशा और कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहें हैं। एलडीए से लेकर शासन तक में चर्चा है कि हाई प्रोफाइल की जगह अग्निकांड में आम लोगों की ही जान गयी है, इसलिए इसमें कुछ नहीं होने वाला। मिलीभगत के चलते इंजीनियर व कर्मियों को बचाने के लिए आवास व एलडीए के बीच अग्निकांड के बाद शुरू हुआ कागजों में सवाल, जवाब व चेतावनियों और बैठकों के निर्देशों का खेल आगे भी चलता रहेगा और एक-एक कर सारे दोषी बिना किसी कार्रवाई के अपनी सेवा भी पूरी कर लेंगे, हालांकि चर्चाओं में कितना दम है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।

दोषियों को भेजा गया आरोप पत्र, पता करता हूं स्‍टेटस: प्रमुख सचिव आवास

दूसरी ओर प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन नितिन रमेश गोकर्ण ने अब इस पूरे मामले पर गंभीरता दिखाते हुए बताया है कि घटना में दोषी पाए गए इंजीनियरों को आरोप पत्र भेजा गया है। साथ ही जांच अधिकारी भी नियुक्‍त कर दिया गया है। अधिकारी की रिपोर्ट आने पर जल्‍द ही दोषियों के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा कार्रवाई में अब देर क्‍यों हो रही है इसका स्‍टेटस मैं खुद पता कराता हूं।

यह था मामला-

बताते चलें कि चारबाग क्षेत्र में अवैध तरीके से बनाए गए होटल विराट और एसएसजे इंटरनेशनल में 19 जून 2018 को लगी भीषण आग में साल भर की बच्‍ची सहित सात लोगों की जलकर मौत हो गयी थी, जबकि करीब आधा दर्जन अन्‍य लोग बुरी तरह झुलस गए थे। दिल दहला देने वाले अग्निकांड के दोषियों पर कार्रवाई के लिए सीएम योगी के निर्देश पर तत्‍कालीन एडीजी लखनऊ जोन राजीव कृष्‍ण व एलडीए वीसी पीएन सिंह ने जांच शुरू की थी।

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करीब सालभर बाद आयी रिपोर्ट में कुल 24 अधिकारी, अभियंताओं व कर्मियों को दोषी माना गया था, हालांकि बाद में इस रिपोर्ट में कमियां मिलने पर कुछ दोषियों को गुपचुप तरीके से क्‍लीन चिट देते हुए नए सिरे से दोषियों की तलाश शुरू हुई तो प्राधिकरण के करीब 30 इंजीनियर व नौ कर्मी अवैध होटलों को बनवाने व बचाने के दोषी मिले।

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रिकॉर्ड के मुताबित यह अभियंता व कर्मचारी साल 2010 में अवैध होटलों के बनने से लेकर जून 2018 में अग्निकांड होने के बीच चारबाग क्षेत्र के अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के लिए कभी न कभी उसी क्षेत्र तैनात किए गए थे। इन्‍हीं अभियंताओं पर शासन, जबकि कर्मियों पर एलडीए के स्‍तर से कार्रवाई की जानी है।

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