आरयू ब्यूरो
लखनऊ। सत्ता में लौटने के लिए समाजवादी पार्टी के गठबंधन का फार्मूला फेल होता हुआ नजर आ रहा है। सीटों की संख्या को लेकर राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस से भी उसका चुनावी रिश्ता लगभग खत्म हो चुका है। कई दिनों के मंथन के बाद भी दोनों पार्टियां आपस में जुड़ नहीं पाई।
इस बात का खुलासा करते हुए आज सपा के वरिष्ठ नेता नरेश अग्रवाल ने पत्रकारों को बताया कि गठबंधन करीब-करीब टूट ही गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस को सौ सीटें दे रहे थे, जबकि कांग्रेस कम से कम 120 सीट मांग रही थी।
दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि गठबंधन पर कल सुबह तक सब कुछ साफ हो जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।
बता दें कि सपा से गठबंधन को लेकर पहले से ही कुछ नेता और बढ़ी संख्या में कार्यकर्ता इसके पक्ष में नहीं है, हालांकि अनुशासन और वरिष्ठ नेताओं के डर से वह कुछ भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है।
उनको डर है कि इस गठबंधन से फिलहाल देश की दूसरे नंबर की पार्टी होने का गौरव भी उनसे छिनकर सपा की झोली में चला जाए।
प्रदेश स्तर के एक नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर ‘राजधानी अपडेट’ को बताया कि शहर के साथ ही दूसरे जिलों के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता व नेता भी सपा की शर्तों पर झुककर गठबंधन के पक्ष में नहीं है। इसकी एक बड़ी वजह 2019 में होने वाला लोकसभा चुनाव भी है।