आरयू वेब टीम।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरूवार को सुनंदा पुष्कर मौत के मामले में एक लाख रुपये के मुचलके पर कांग्रेस नेता शशि थरूर की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली है। साथ ही कोर्ट ने थरूर को साक्ष्यों से छेड़छाड़ न करने और उसकी अनुमति के बगैर देश नहीं छोड़ने के निर्देश दिए। इससे पहले मंगलवार को कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी जिस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था।
बुधवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान एसआइटी ने जमानत याचिका का विरोध किया है। शशि थरूर की अग्रिम जमानत याचिका पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला गुरूवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। थरूर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से कहा कि पुलिस ने पहले जो कहा था, अब वह उससे ठीक विपरीत बात कर रही है।
यह भी पढ़ें मानेसर भूमि घोटाले में पूर्व सीएम हुड्डा को इस शर्त के साथ CBI कोर्ट से मिली जमानत
उन्होंने कहा कि चूंकि आरोप पत्र पेश होने से पहले थरूर को गिरफ्तार नहीं किया गया, उन्हें गिरफ्तारी से राहत दी जानी चाहिए। शशि थरूर के वकील ने दलील दी थी कि एसआइटी ने साफ तौर पर चार्जशीट में कहा है कि जांच समाप्त हो गई है और किसी भी व्यक्ति को कस्टडी में लेकर पूछताछ नहीं की जाएगी।
वकील ने तर्क देते हुए कहा कि इसमें कानूनी रूप से साफ है कि चार्जशीट बिना गिरफ्तारी के दायर की जाएगी। चार्जशीट दाखिल होने से साफ है कि अब मामले में किसी से पूछताछ की जरूरत नहीं है। वहीं दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने पांच जून को शशि थरूर को आरोपित के तौर पर समन जारी करते हुए इस मामले में सात जुलाई को अपने समक्ष पेश होने का आदेश दिया था।
बता दें कि कोर्ट द्वारा सुनंदा पुष्कर आत्महत्या में उकसाने और क्रूरता का आरोपित बनाए जाने के बाद शशि थरूर ने इसे बेबुनियाद और आधारहीन बताया थे। थरूर ने अपनी सफाई में एक पत्र जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था, ‘मुझ पर जो आरोप लगए गए हैं, वह अनर्गल और आधारहीन हैं। मेरे खिलाफ द्वेषपूर्ण और बदला लेने के उद्देश्य से अभियान चलाया जा रहा है।’
ये था मामला
बताते चलें कि सुनंदा पुष्कर 17 जनवरी, 2014 को दिल्ली के एक होटल में मृत पायी गई थीं। कांग्रेस नेता पर आइपीसी की धारा 498 ए (क्रूरता) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के आरोप लगाए गए हैं। धारा 498 ए के तहत अधिकतम तीन साल के कारावास की सजा का प्रावधान है जबकि धारा 306 के तहत अधिकतम 10 साल की जेल हो सकती है।
यह भी पढ़ें गायत्री की जमानत निरस्त, नियमों से खिलवाड़ पर इंस्पेक्टर सस्पेंड