आरयू ब्यूरो, लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने रविवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अनुसूचित जातियों को उपजातियों में विभाजित करने के फैसले पर सवाल उठाया। साथ ही कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हमारी पार्टी सहमत नहीं। इस फैसले के बाद राज्य-केंद्र में मतभेद होगा और आरक्षण पर नई सूची बनाने से कई तरह की परेशानियां सामने आएंगी।
बसपा मुखिया ने आज प्रेसवार्ता कर कहा कि, पंजाब राज्य के मामले में 20 साल पहले के फैसले पर सुनवाई सही नहीं। साथ ही साथ एससी एसटी के बीच उपजाति का विभाजन करना सही फैसला नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहीं न कहीं आरक्षण को खत्म करने के प्लान जैसा है। उन्होंने क्रीमीलेयर के मानक पर भी सवाल उठाए।
साथ ही मायावती ने कहा कि, भविष्य में आरक्षण में किसी तरह की बदलाव की कोशिश न हो। संविधान के नौवीं अनुसूची में इसे शामिल किया जाए। अनूसूचित जातियों को आगाह करते हुए मायावती ने कहा कि आपातकालीन की स्थिति को समझते हुए एससी- एसटी वर्ग को एकजुट होने की जरूरत है। यदि वह बंटे रहेंगे तो विरोधी उनका फायदा उठाएंगे।
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मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते बड़ा फैसला सुनाया है। फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी में कोटे के अंदर कोटे को मंजूरी दे दी है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से ये फैसला सुनाया।