सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, अस्पताल-रेलवे स्टेशन से तुरंत हटाएं आवारा कुत्‍ते-पशु

आवारा कुत्ता
आवारा कुत्ता। (फाइल फोटो)

आरयू वेब टीम। उत्‍तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में खुलेआम आवारा जानवरों का आतंक देखने को मिल रहा है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्‍य सरकारों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि हाईवे, अस्पताओं और रेलवे स्टेशनों से आवारा जानवरों को जल्दी से जल्दी हटाया जाए।

साथ ही आवारा कुत्तों से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंडों, खेल परिसरों और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों तथा अन्य मवेशियों को तुरंत हटाकर आश्रय गृहों में भेजा जाए। इसके लिए अदालत ने आठ हफ्तों की समय सीमा तय की है।

मामले की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन की उचित बाड़ लगाई जाएं ।

न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्थानीय नगर निकायों को ऐसे परिसरों से नियमित रूप से जानवरों को उठाने का अभियान चलाने और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 के तहत अनिवार्य टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हें निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इन सार्वजनिक स्थानों से हटाए गए कुत्तों को उसी स्थान पर वापस नहीं लाया जाना चाहिए, साथ ही समय-समय पर निरीक्षण करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन परिसरों में आवारा कुत्तों का कोई आवास न बनने दिया जाए।

न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजमार्गों से आवारा पशुओं और अन्य जानवरों को तुरंत हटाने का भी आदेश दिया और कहा कि ऐसे जानवरों को बिना किसी देरी के निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में पहुंचाया जाए। शीर्ष अदालत ने आदेश दिया, “सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। अन्यथा, अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा। ” साथ ही, निर्देशों को लागू करने के लिए अपनाई गई व्यवस्थाओं का विवरण देते हुए आठ हफ़्तों के भीतर अनुपालन स्थिति रिपोर्ट मांगी।

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इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने एबीसी नियमों के क्रियान्वयन में खामियों को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रति नाराजगी व्यक्त की थी। न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की बारीकी से जाँच कर रही है और इस बात पर ज़ोर दे रही है कि आवारा पशुओं से जुड़ी अनियंत्रित घटनाएं न केवल जन सुरक्षा से समझौता करती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को भी खराब करती हैं। पीठ ने टिप्पणी की, “लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं और विदेशी देशों की नजर में देश की छवि को खराब किया जा रहा है। हम समाचार रिपोर्ट भी पढ़ रहे हैं।”

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