सुप्रीम कोर्ट का मोदी सरकार से सवाल, ‘जम्मू-कश्मीर में कब होंगे चुनाव, राज्य का दर्जा बहाल करने का रोडमैप क्या?’

केंद्र सरकार से सवाल

आरयू वेब टीम। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है। इसी क्रम में मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे और राज्य का दर्जा कब बहाल होगा? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र की बहाली महत्वपूर्ण है। इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि हम स्टैप बाई स्टैप चल रहे हैं। केंद्र सरकर चुनाव को लेकर 31 अगस्त को बताएगी।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि एक बार जब आप सभी राज्यों के लिए संघ के संबंध में शक्ति स्वीकार कर लेते हैं तो आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि इस शक्ति का उपयोग अन्य राज्यों के लिए नहीं किया जाएगा? इसपर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि यह अपनी तरह की अनोखी स्थिति है जो दोबारा उत्पन्न नहीं होगी।

…राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की शक्ति है

इस दौरान सीजेआइ ने पूछा कि क्या संसद के पास राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की शक्ति है? अगर यूनियन टेरिटरी की स्थिति स्थायी नहीं है तो यह कितनी अस्थायी है? और आप चुनाव कब कराने जा रहे हैं? मोदी सरकारी की आरे से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना एक अस्थायी उपाय है और भविष्य में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को वापस राज्य के रूप में वापस कर दिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह कितना अस्थायी है और जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होंगे? एसजी तुषार मेहता ने कहा कि उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह बताने को कहा कि क्या जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समय सीमा है और इस प्रगति का कोई रोडमैप है?

हमने पंजाब और उत्तर पूर्व में बहुत कठिन समय देखा: जस्टिस कौल

वहीं, जस्टिस कौल ने कहा कि हमने पंजाब और उत्तर पूर्व में बहुत कठिन समय देखा है। यह कोई एक बार का उदाहरण नहीं है। जस्टिस बीआर गवई ने पूछा कि जब हम बात कर रहे हैं तो उत्तर पूर्वी राज्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि हम जम्मू और कश्मीर को अन्य सीमावर्ती राज्यों से कैसे अलग कर सकते हैं? इस बात का क्या आश्वासन है कि वहां भी ऐसा नहीं होगा?

आप यह नहीं कह सकते कि…

वहीं जस्टिस खन्ना ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि इसके साथ अलग तरह से व्यवहार किया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक सीमावर्ती राज्य है। इसपर तुषार मेहता ने कहा कि दशकों से हम लगातार बार-बार सामना कर रहे हैं। उसे देखें, यहां क्षेत्र के एक हिस्से (पीओके) पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है। यह दशकों से राष्ट्र के सामने आने वाली समस्या है और ये निर्णय अचानक लिए गए निर्णयों के रूप में नहीं लिए जाते हैं। ये नीतिगत विचार हैं।

इसी दिशा में हम कर रहे काम

तुषार मेहता ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य में दशकों से जो लगातार स्थिति बन रही है, वह अन्य सीमावर्ती राज्यों के साथ नहीं है। यह सिर्फ सीमावर्ती राज्य नहीं है, बल्कि यह एक अलग तरह का सीमावर्ती राज्य है। युवाओं को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए, हम इसी दिशा में हम काम कर रहे हैं। मैं इस दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताऊंगा।

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